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सपच्चवाएयरे घेव॥४॥ जंघद्धा संघट्टो नाभी लेवो परेण लेवुवरि। एगो जले थलेगो निष्पगले तीरमुस्सागो॥३४॥ भा०। निभएऽगारित्थीणं तु मग्गओ चोलपट्टमुस्सारे। सभए अत्थग्धे वा ओइण्णेसुंधणं पढें ॥५॥दगतीरे ता चिट्ठे निष्पगलो जाव चोलपट्टो 3। सभए पलंबमाणं गच्छइ काएण अफुसंतो॥६॥ असइ गिहि नालियाए आणखेडे पुणोऽवि पडियरण। एाभोग पडिग्गह केई सव्वाणि न य पुरओ॥७॥सागारं संवरणं ठाणतिअंपरिहरित्तुऽनाबाहे( नावाए)। ठाइ नमोकारपरी तीरे जयणा इमा होइ॥८॥ नवि पुरओ नवि मग्गओ मझे उस्सम्ग पण्णवीसाउ। दइउद(डु )यतुंबेसु अ एस विही होइ संतरणे॥९॥ वोलीणे अणुलोमे | पडिलोमऽद्देसु ठाइ तणरहिए। असई य गत्तिणंतगउल्लतलिगाइ डेवणया॥४०॥ जह अंतरिक्खमुदए नवरि निअंबे य वणनिगुंजे यो ठाणं सभए पाउण घणकप्पमलंबमाणं तु॥१॥ तिविहो वणस्सई खलु परित्तऽणतो थिराथिरेक्केक्को। संजोगा जह हेट्ठा अक्कंताई तहेव इह ॥२॥ तिविहा बेइंदिय खलु थिरसंघयणेयरा पुणो दुविहा। अताई य गमो जाव 3 पंचिंदिआ नेआ॥३॥ पुढविदए य पुढविए उदए पुढवि तस वाल कंटा या पुढविवणस्सइकाए ते चेव 3 पुढविए कमण॥४॥ पुढवितसे तसरहिए निरंतरतसेसु पुढविए चेवा आउवणस्सइकाए वणेण नियमा वणं उदए ॥५॥ तेजवाउविहूणा एवं सेसावि सव्वसंजोगा। नच्चा विराहणदुर्ग वजंतो जयसु उवउत्तो॥६॥ सव्वत्थ संजमं संजमाउ अयाणमेव रक्खिज्जा (प्र० क्खंतो)। मुच्चइ अइवायाओ पुणो विसोहीन याविरई॥७॥ संजमहे देहो धारिजइ सो कओ उ तदभावे? संजमफाइनिमित्तं च देहपरिपालणा इवाम्॥ | ॥श्री ओपनियुक्तिसूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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