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|| गए वासेोक्यरि दिसिं गमिस्सह? अमुइंतहिं संथवं कुण॥३१०॥ दिजते पडिसेहो कज्ने घेच्छं निमंतणं जइणी पुव्वगय आगएसुं | संछुहई एगगेहंमि॥२॥ धम्मकह वाय खमणं निमित्त आयावणे सुयढाणी जाई कुल गण कम्मे सिप्पम्मि य भावकीयं तु॥२॥ धम्मकहाअक्खित्ते धम्मकहाउट्ठियाण वा गिण्हे। कड्द( हयं )ति साहवो चिय तुझं व कहि? पुच्छिए तुसिणी॥३॥ किं वा कहिज्ज छारा दगसोयरिया व अहवऽगारत्था। किं छगलगगलवलया मुंडकुडुंबी व किं कहए?॥४॥ एमेव वाइ खमए निमित्तमायावगम्मि य विभासा सुयठाणं गणिमाई अहवा वाणायरियमाई॥५॥ पाभिच्चंपिय दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेणो लोइय सझिलगाई लोगुत्तर वत्थमाईसु॥६॥सुयअभिगमनाय विही बहि पुच्छ। एग जीवइ ससा तो पविसण पाग निवारण उच्छिदणतेल जइदा॥७॥ अपरिमियनेहवुड्ढी दासत्तं सोय आगओ पुच्छा। दासत्तकहण मा रुय अचिरा मोएमि एत्ताहे ( अप्पा भे)॥८॥ भिक्ख दगसमारंभे कहणाउट्टो कहिं भि वसहित्तिो संवेया आहरणं विसज्ज कहा कइया 3॥९॥ एए चेव य दोसा सविसेसयरा 3 वत्थपाएसुं। लोइयपाभिच्चेसुं लोगुत्तरिया इमे अन्ने॥३२०॥ मइलिय फालिय खोसि मिय)य हिय नढे वावि अन्न मागतो अवि सुंदरेवि दिण्णे दुक्कररोई कलहमाई॥१॥ उच्चत्ताए दाणं दुल्लभ खग्गूड अलस पाभिच्चे। तंपिय गुरुस्स पा( गा)से ठवेइ सो देइ मा कलहो॥२॥ परियट्टियंपि दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेणी एक्केक्कंपिय दुविहं तद्दव्वे अन्नदव्ये य॥३॥ अवरोपसझिलगा संजुत्ता दोवि अन्नमन्नेणी पोग्गलिय संजयद्वा परियट्टण संखडे बोही॥४॥ अणुकंप भगिणिगेहे दरिद्द परियट्टणा य कूरस्सा पुच्छ। कोद्दवकूरे
श्री पिण्डनियुक्ति सूत्रा
पू. सागरजी म. संशोधित
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