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चरणकरणालसंमी अन्नंमि य आगए गहिय पुच्छा। इहलोगं पलोगं कहेइ चइउं इमं लोग॥५॥नीयदुवारंभि घरे भिक्खं निच्छंति एसणासभियाोजं पुच्छसि मज्झकहं कप्पइ? लिंगोवजीवीऽहं ॥६॥साहुगुणेसणकहणं आउट्टा तमि (तस्स) तिप्प तहेवा कुकुडि चरंति एए व्यं तु चिन्नव्व्या बीओ॥७॥ पाओकरणं दुविहं पागडणं पगासकरणं चापागड संकामण कुड्डदारपाए २ छिन्ने व॥८॥रयणपईवे जोई न कप्पड़ पगासणा सुविहियाणं अत्तट्ठिय परिभोत्तुं कप्पइ कप्पे अकाऊणं॥९॥ संचारिमा य चुल्ली बहिं वचुल्ली पुरा क्या तेसिंीतहि रंधति क्याई उवही पूई य पाओ य॥३००॥नेच्छह तमिसंमि तओ बाहिरचुल्लीए साह सिद्ध(8)ण्णे। इय सोउं परिहरए पुढे सिटुंमिवि तहेव॥१॥मच्छियधम्मा अंतो बाहि पवायं पगासमासन्नी इय अत्तद्विय गहणं पागडकरणे विभासेयं (सा 3) ॥२॥ कुड्डस्स कुणइ छिड्ड दारं वड्ढे(ट्टे )कुणइ अनं वा। अवणेइ छायणं वा ठावइ रयणं व दिप्यंत॥३॥ जोइ पइवं कुणइ व तहेव कहणं तु पुढे दु( ऽपु)हे वा। अत्तट्टिए 3 गहणं जोइ पईवे 3 वज्जित्ता (जेइ) ॥४॥ पागडण्यासकरणे कयंमि सहसा व अहवडणाभोगा गहियं विगिंचिऊणंगेण्हइ अन्नं अकयक्ष्ये ॥५॥कीयगडंपिय दुविहं दब्वे भावे यदुविहमेक्केछ। आयकियं च परकिय पदव्वं तिविहऽचित्ताइ॥६॥ आयकियं पुण दुविहं दव्ये भावे यदव्व चुनाई। भावंमि परस्सऽट्ठा अहवावी अप्पणा चेव॥७॥ निम्मल्लगंधगुलियावत्रयपोत्ताइ आ(या)यकय दव्वे गेलने उड्डाओ उणे चडुगारि अहिगरणं ॥८॥ वइयाइ मंखमाई प्रभावकयं तु संजय?आए। उप्यायणा निमंतण कीडगड अभिहडे ठविए॥९॥ सागारि मंख छंदण पडिसेहो पुच्छ बहु श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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