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एगट्ठा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेवो नाण? एगवंजण नाणट्ठा वंजणानामा॥१३०॥ दिढें खीरं खीरं एगटुं एगवंजणं लोए। एगटुं बहुनामं दुद्ध पओ पीलु खीरं च॥१॥ गोमहिसिअयाखीरं नाणटुं एगवंजणं नेयं (लोए) । घडपडसगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनाम॥२॥ आहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताई पढमभंगो 3 आहाहेकम्मति य (अहे य कम्मे ) बिइओ सकिंद इव भंगो॥३॥ आहाकम्भतरिया असणाई उचउरो तइयभंगो आहाकम पडुच्चा नियमा सुनो चरिमभंगो॥४॥इंदत्थं जह सदा पुरंदराई 3 नाइवत्तंते। अहम्म आयहम्मा तह आहं नाइवत्तंते ॥५॥ आहाकम्मेण अहे ऐति जहणइ पाणभूयाई। जंतं आइयमाणो. परकम्म अत्तणो कण॥६॥ कस्सत्ति पच्छियंभी नियमा साहम्मियस्सतं होड़ो साहम्मियस्स तम्हा कायव्व परूवा विहिणा (परूवणं तस वोच्छामि)॥७॥नाभं ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे।दसण नाण चरित्ते अभिग्गहे भावणाओ य ॥८॥ नामंभि सरिसनामो ठवणाए कट्ठकम्ममाईयादिव्वंमि जो उ भविओ साहमिसरीरगं चेव (जंच)॥९॥खेत्ते समाणदेसी कालंमिसभाण( उएक )कालसंभूओ। पवयणि संधेगयरो लिंगे रयहरणमुहपोत्ती॥१४०॥ सण नाणे चरणे तिग पण पण तिविह होइ उ चरित्तो दव्वाइओ अभिग्गह अह भावणमो अणिच्चाई॥१॥ जावंत देवदत्ता गिही व अगिही व तेसि दाहामि। नो कप्पई गिहीणं दाहंति विसेसियं कप्ये॥२॥ पासंडीसु(ण)वि एवं भीसामीसेसु होइ हु विभासा समणेसु संजयाण 3 विसरिसनामाणवि न ॥३॥ नीसमनीसा व कडं ठवणासाहम्मियभिम उ विभासाोदव्वे मयतणुभत्तं न तंतु कुच्छा विवजेजा॥४॥पासंडियसभणाणं गिहिनिग्गंथाण चेवउविभासा। ॥ श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
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