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भणइ परहत्थेणंगारे कड्ढतो जह न डन्झइ हु॥४॥एवं खु अहं सुद्धो दोसो देंतस्स कूडउवभाए।सभ्यत्थमजाणतो मूढो पडिसेवणं | कुणइ॥५॥उवओगंमि य लाभं कम्मन्गाहिस्स चित्तरक्खा आलोइए सुलद्धं भणइ भणंतस्स पडिसुणणा॥६॥संवासो उ पसिद्धो अणुभोयण कम्मभोयगपसंसा। एएसिमुदाहरणा एए 3 कमेण नायव्वा ॥७॥ पडिसेवणाए तेणा पडिसुणणाए 3 रायपुत्तो ३। संवासंमि य पल्ली अणुभोयण रायट्ठो य॥८॥ गोणीहरण सभूभी नेऊणं गोणिओ पहे भक्खे। निव्विसया परिवेसण ठियावि ते कूविया प्रत्ये॥९॥ जेविय परिवेसंती, भायणाणि धरति यो तेऽवि बझंति तिव्वेण, कम्भुणा किमु भोइणो?॥१२०॥ सामत्थण रायसुए पिइवहण सहाय तह य तुहियो । तिण्हंपि हु पडिसुणणारण्णा सिटुंमिसा नत्थि॥१॥ भुंज न भुंजे भुंजसु तइओ तुसिणीउ भुंजए पढमो। तिण्हंपि हु पडिसुणा पडिसेहतस्स सा नत्यि॥२॥ आणेत्तु जगा कम्मुणा 3 बीयस्स वाइओ दोसो। तइयस्स य माणसिओ तीहिं विसुद्धो चउत्थो ॥३॥ पडिसेवण पडिसुणणा संवासऽणुभोयणा उ चउरोवि। पियमारगरायसुए विभासियव्वा जइजणेऽवि॥४॥ पल्लीवहंमि नह। चोरा वणिया वयं न चोरत्ति। न पलाणा पावकर( वरय)त्ति का रन्ना उवालद्धा॥५॥ आहाकडभोईहिं सहवासो तह य तव्विवजपि। दसणगंधपरिकहा भाविति सुलूहवित्तिपि॥६॥ रायोरोहऽवराहे विभूसिओ घाइओ नयरमझे। धनाधन्नत्ति कहा वहावहो कप्पडियखोला॥७॥ साउं पज्जतं आयरेण काले रिउक्खमं निद्धी तागुणविकत्थणाए अभुंजमाणेऽवि अणुमन्ना ॥८॥ आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे र अत्तकम्मे यो जह वंजणनाणत्तं अत्थेणऽवि पुच्छए एवं॥९॥ श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
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