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| दुविहत्यवेहिं ते तिह्यणुक्कौसे ॥९॥ गोयमा ! धम्मतित्थंकरे जिणे अरिहंतेत्ति, अह तारिसेवि इड्ढीपवित्थरे सयलतिह्यणाउलिए । साहीणे जगबंधू मणसावि जे खणं लुद्धे ॥ ८० ॥ तेसिं परमीसरियं रूवसिरीवण्णबलपमाणं चा सामत्थं जसकित्ती सुरलोगचुए | जहेह अवयरिए ॥१॥ जह काऊणऽन्नभवे उग्गत्वं देवलोगमणुपत्ते । तित्थयरनामकम्मं जह बद्धं एगाइवी सइथामेसु ॥ २ ॥ जह सम्मत्तं पत्तं सामन्नाराहणा य अन्नभवे । जह तिसलाओ सिद्धत्थघरिणीचोदसमहासुमिणलंभं ॥ ३ ॥ जह सुरहिगंधपक्खेव गब्भवसहीए असुहभवहरणं । जह सुरनाहो अंगुट्ठपव्वणसियं महंत भत्तीए ॥४॥ अमयाहारं भत्तीए देइ संथुणइ जाव य पसूओ । |जह जायकम्मविणिओगकारियाओ दिसिकुमारीओ ॥ ५ ॥ सव्वं नियकत्तव्वं निव्वत्तंती जहेव भत्तीए । बत्तीससुरवरिंदा गरुयपमोएण सव्वरिद्धीए ॥ ६ ॥ रोमंचकं चुपुलइयभत्तिब्भर माइयस्सगत्ता ते। मन्नते सकयत्थं जंमं अम्हाण मेरु गिरिसिहरे ॥७॥ होही खणमम्फालियसूसर गंभीरदुंदुहिनिघोस। जयसद्दमुहलमंगलकयंजली जह य खीरसलिलेणं ॥८॥ बहुसुरहिगंधवासियकं चणमणितुंग ( रयण) कलसेहिं । जम्माहिसेयमहिमं करेंति (जह ) जिणवरो गिरिंचाले ॥९ ॥ जड़ इंदं वायरणं भयवं वायरइ अट्ठवरिसोवि। जह गमइ कुमारत्तं (परिणे बोहिंति) जह व लोगंतिया देवा ॥९०॥ जह वयनिक्खमणमहं करेंति सव्वे सुरासुरा मुइया जहा अहिया से | घोरे परीसहे दिव्वमाणुसतिरिच्छे ॥१ ॥ जह घणघाइचउका कम्मं ) डहइ घोरतवझाणजोगअग्गीए । लोगालोगपयासं उप्पाए जह | व केवलं नाणं ॥ २ ॥ केवलमहिमंपुणरवि काऊणं जह सुरासुराईया । पुच्छंतिसंसए धम्मणीइतवचरणमाईए ॥ ३ ॥ जह व कहेइ ॥ श्री महानिशीथसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित
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