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| पावबंधणेक्क अबिइज्जतित्थयरनाम कम्मगोयणिसियसुकं तदित्त चारुरुवदसदिसिपयासनिरुवमट्ठलक्खण सहस्समंडियजगुत्तमुत्तमसिरी| निवासवासवावी इव देवमणुयदिट्ठमेत्ततक्खणंतकरणलाइय चमक्कनयणमाणसाउलमहंत विम्हयपमोयकारया असेसक सिणपावकम्ममलकलंक विप्पभुक्कसमचरं सपवरपढभवज्जरि सहनारायसंघयणाहिद्वियपरमपवित्तुत्तममुत्तिधरे, ते चेव भगवंते महायसे महासत्ते | महाणुभागे परमिट्ठी सद्धम्मतित्थंकरे भवंति ।१४। अन्नंच सयलनरामरतियसिंदसुंदरी रूवकं तिलावन्न। सव्वंपि होज्ज जइ एगरासिण | संपिण्डियं कहवि ॥ २३ ॥ तं च जिणचलणंगुट्टग्गकोडिदे सेगलक्खभागस्स । संनिज्झंभि न सोहइ जह छाउडं कंचणगिरिस्स ॥२४॥ त्ति, अहवा नाऊण गुणंतराई अन्नेसिं ऊण सव्वत्था तित्थयरगुणाणमणंत भागमलभतमन्नत्थ ॥ २५ ॥ जं तिहुयपि सयलं |एगीहोऊणमुम्भमेगदिसिं । भागे गुणाहिओऽहं तित्थयरे परमपुज्जे ॥ २६ ॥ त्ति, तेच्चिय अच्चे वंदे पूए अरिहे गइमइसमन्ने | जम्हा तुम्हा ते चेव भावओ णमह धम्मतित्थ्यरे ॥ २७॥ लोगेवि गामपुरनगर विसयजणवयसमग्गभरहस्सा जो जित्तियस्स सामी तस्साणत्तिं ते करेंति ॥ २८ ॥ नवरं गामाहिवई सुदठु सुतुट्टे एक्कगाममन्झाओ। किं देज? जस्स नियगे तेलोए एत्तियं पुव्वं ॥ २९ ॥ चक्रहरो लीलाए सुट्ट सुथेवंपि देइ न हु भन्ने । तेण य कमागयगुरुदरिद्दनामं समासे ॥३०॥ (सयलबंधुवग्गस्सत्ति) सो मंता चक्कहरं चक्कहरो सुरवइत्तणं कंखे। इंदो तित्थ्यरे उण जगस्स जहिच्छियसुहफलए ॥३१॥ तम्हा जं इंदेहीवि कंखिज्जइ एगबद्धलक्खेहिं । | अइसाणुरामहियएहिं उत्तमं तं न संदेहो ॥ ३२ ॥ तो सयलदेवदाणवगह रिक्खसुरिंदचंदमादीणं । तित्थयरे पुज्जयरे ते च्चिय पावं ॥ श्री महानिशीथसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित
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