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पुट्ठा सा तेहिं जहा भट्टिदारिगे! किमयं किमेयंति?, तीए भणियं जहा णं मामा अत्ताणगंदरमएणंदीहेणंखावेह, मामा विगयजलाए सरियाए उन्ह, मामा अरज्जुएहिं पासेहिं नियंतिए मज्झ(जमोहेणाऽऽणप्पेह, जहा णं किल एस पुत्ते एसा धूया एस णत्तुगे एसा सुण्हा एस जामाउगे एसा णं माया एसणंजणगे एसो भत्ता एसणं इट्टे मिटे पिए कंते सुहीयसयणमित्तबंधुपरिवग्गे इहई पच्चक्खमेवेयं विदिढ़ अलियमलिया चेव सा बंधवासा, सजत्थी चेव संभयए लोओ, परमत्थओन केइ सुही, जाव णं सकज ताव णं माया ताव णं जणगे ताव गंधूया ताव णं जामाउगे ताव णं णत्तुगे ताव णं पुत्ते तावणं सुण्हा तावणं कंता ताव णं इढे मिटे पिए कंते सुहीसयणजणमित्तबंधुपरिवगे, सकजसिद्धीविरहेणं तु ण कस्सई काइ माया न कस्सई केइ जणगे ण कस्सई काइ धूया ण कस्सई केइ जाभाउगे ण कस्सई केइ पुत्ते ण कस्सई काइ सुण्हा न कस्सई केइ भत्ता ण कस्सई केइ कंता " कस्सई केइ इडे मिटे पिए कंते सुहीसयणमित्तबंधुपरिवग्गे, जे णं तु पेच्छ पेच्छ भए अणेगोवाइयसउवलद्धे साइरेगणवमासकुच्छीएविधारिऊणंच अणेगमिट्टमहरउसिणतिक्खसुलुसुलियसणिद्ध आहारपयाणसिणाणुव्वट्टणधूयकरणसंवाहण (धण) धन्नपयाणाईहिं णं एमहंतमणुस्सीकए जहा किल अहं पुत्तरज्जमि पुन्नपुन्नमणोरहा सुहंसुहेणं पणइयणपूरियासा कालं गमीहामि, ता एरिसं एवं वइयरंति, एयं च णाऊण मा धवाईसुं करेह खणद्धमवि अणुंपि पडिबंध, जहा णं इमे मझ सुए संवुत्ते | तहा णं गेहे गेहे जे केइ भूए जे केइ वटुंति जे केइ भविंसु एए तहा णं एरिसे, सेऽवि बंधुवग्गे केवलं तु सकज्जलुद्धे चेव ॥ श्री महानिशीथसूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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