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| पयत्तेणं॥३॥जह तवसंजमसम्झायझाणमाईसु सुद्धभावेहिं। उज्जमियव्वं गोयम! विजुलयाचंचले जीवे॥४॥ किं बहुणा? गोयमा! एत्थं,दाऊणंआलोयणी पुढविकायं विराहेजा, कत्थ गंतुंससुझिही?॥५॥ किंबहुणा गोयमा! एत्थं, दारुणंआलोयणीबाहिरपाणं तहिं जम्मे,जे पिए कत्थ सुझिही?॥६॥ किं० उण्हवइ जालाई जाओ, फुसिओ वा कत्थ सुझिही?॥७॥
किंवाउकायं उदरेजा, कत्थ गंतूण सुजिही?॥८॥ किं० जो हरियतणं पुण्फ वा, फरिसे कत्थ स सुझिही?॥९॥ किं० अक्कमई बीयकायंजो, क्य गंतुं स सुन्झिही?॥८०॥ किं० वियलेंदी( बितिच३) पंचिंदिय परियावे, जो कत्थ स सुज्झिहि?॥१॥ किं० छक्काए जो न रक्खेजा, सुहमे कत्थ स सुझिही?॥२॥ किं बहुणा गोयमा! एत्थं, दाऊणं आलोयणी तसथावर जो न रक्खे, कत्थ गंतुं स सुझिही?॥३॥ आलोइयनिंदियगरहिओवि कयपायच्छित्तणीसल्ली। उत्तमठाणपि ठिओ पुढवारंभ परिहरिजा॥४॥ आलोइ० उत्तमठामि ठिओ, जोईए मा फुसावेज्जा १५॥ आलोइ० संविग्गो उत्तमठाणमि ठिओ, मा वियावेज अत्ताणं॥६॥ आलोइ० संविग्गो। छिनपि तणं हरियं, असई मणगंमा फरिसे॥७॥आलोइय० संविग्गो।उत्तमठाणमि ठिओ, जावजीवंपिएतेसिं॥८॥दियतेदियचरोपंचिंदियाण जीवाणी संघट्टणपरियावणकिलावणोद्दवण मा कासी॥९॥ आलोइ० संविग्गो। उत्तमठाणमि ठिओ, सावजं मा भणिज्जासु॥९॥ आलोइय० संविग्गो। लोयत्थे णवि भूई गहिया गिहिउक्खिविउ दिना॥१॥ आलोइ० नीसलो। जे इत्थी संलविजा, गोयम! कत्थ स सुज्झिही?॥२॥आलोइय० संविग्गोचोद्दसधम्मुवगरणे, उड्ढं मा परिगहं कुज्जा॥३॥ तेसिंपि निभमभत्तो अमुच्छिओ अगढिओ ॥ श्री महानिशीथसूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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