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| विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धमविणयं लभेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, जत्थुत्तरिय धम्मविणयं नो लभेज्जा एवं से नो कप्पइ अनं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जिताणं विहरित्तए।१९। आयरियउवझाए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जिताणं विहरित्तए नो से कप्पइ आयरियउवझायस्स आयरियउवझायत्तं अनिक्खिवित्ता० विहरित्तए, कप्पड़ से आयरियउवझायस्स आयरियउवझायत्तं निक्खिवित्ताणं अनं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, ते य से वियरंति एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, ते य से नो वियरंति एवं से नो कप्पइ अनं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, जत्थुत्तरियू धम्मविणयं लभेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविणयं नो लभेज्जा एवं से नो कप्पइ अनं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए।२० भिक्खू य इच्छेज्जा अनं आयरियउवझायं उद्दिसावेत्तए नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरियउवझायं उदिसावेत्तए, कप्पड़ से आपुच्छित्ता आयरियंवा जाव गणावच्छेइयं वा अनं आयरियउवझायं उद्दिसावेत्तए ते य से वियरंति एवं से कप्पइ अनं आयरियउवझायं उद्दिसावेत्तए, ते य से नो वियरन्ति एवं से नो कप्पड अन्नं आयरियउवझायं ॥ श्री बृहत्कल्पसूत्रम् ॥]
पू. सागरजी म. संशोधित
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