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वट्टस्सुवरि तंसं तंसस्स उपरि होइ। चउरंसे चउरंसं उठें तु विमाणसेढीओ ॥ २॥ उवलंबयरज्जूओ सव्वविभाणाण हुंति समियाओ|| उरिमचरिमंताओ हिट्ठिलो जाव चरिमंतो॥३॥ पागारपरिक्खित्ता वट्टविमाणा हवंति सव्वेवि। चउरंसविमाणाणं चउद्दिसिं वेइया भणिया॥४॥जत्तो वट्टविमाणं तत्तो तंसस्स वेड्या होइोपागारो बोद्धवो अवसेसाणं तु पासाणं॥५॥जे पुण वट्टविमाणा एगदुवारा हवंति सव्वेवितिन्नि यसविमाणे चत्तारि य हुंति चउरंसे॥६॥ सत्तेव य कोडीओ हवंति बाबत्तरि मयसहस्सा एसो भवणसमासो भोमिज्जाणं सुरवराणं॥७॥तिरिऑववाइयाणं रम्मा भोम्मनगरा असंखिजा। तत्तो संखिजगुणा जोइसियाणं विभाणा 3॥८॥थोवा विभाणवासी भोभिज्जा वाणमंतरमसंखा।तत्तो संखिजगुणा जोइसवासी भवे देवा ॥ ९॥ पत्तेयविमाणाणं देवीणं छब्भव सयसहस्सा सोहम्मे कप्पम्मि उ ईसाणे हुँति चत्तारि॥ २२०॥पंचेवऽणुत्तराई अणुत्तरगईहिं जाई दिट्ठाई। जत्थ अणुत्तरदेवा भोगसुहमणूवमं पत्ता |॥ १॥ जत्थ अणुत्तर गंधा तहेव रुवा अणुत्तरा सदा। अच्चित्तपुग्गलाणं रसो अफासो अगंधो ॥२॥ ५८फोडियकलिकलुसा पम्फोडियकमलरेणुसंकासावरकुसुममहुकरा इव सुहमयरं नंदि (दंति) घोटृति ॥३॥वरपउमगब्भगोरा सव्वे ते एगगब्भवसहीआ/ गब्भवसहीविभुक्का सुंदर! सुक्खं अणुह वंति ॥ ४॥ तेत्तीसाए सुंदरि! वाससहस्सेहिं होइ पुण्णेण आहाराऽवहि देवाणऽणुत्तरविमाणवासीण ॥५॥ सोलसहि सहस्सेहिं पंचेहिं सएहिं होइ पुण्णेहिं आहारो देवाणं मझिममा धरिताणं॥ ६॥ दस वाससहस्साईजहन्नमाउ धति जे देवा। तेसिंपिय आहारो चउत्थभत्तेण बोद्धव्वो ॥७॥संवच्छरस्स सुंदरि! मासाणं अद्धपंचमाणंच | ॥श्री देवेन्द्रस्तव सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
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