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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | दोसुवि परिहायए रयणी ॥ ५ ॥ गेविज्जेसु य देवा रयणीओ दुन्नि हुति उच्चाओ। रयणी पुण उच्चतं अणुत्तर विमाण वासीणं ॥ ६ ॥ | कम्पाओ कप्पम्मि उ जस्स विई सागरोवमब्भहिया । उस्सेहो तस्स भवे इक्कारसभागपरिहीणो ॥ ७ ॥ जो अ विमाणुस्सेहो पुढवीणं जं च होइ बाहलं । दुण्हंपि तं पमाणं बत्तीसं जोयणसयाई ॥ ८ ॥ भवणवइवाणमंतर जोइसिया हुति कायपवियारा। कप्पवईणवि सुंदरि ! वुच्छं पवियारणविही उ ॥९॥ सोहम्मीसाणेसुं सुरवरा हुंति कायपवियारा । सणकुमारमाहिंद फासपवियारया देवा ॥ २०० ॥ बंभे लंतयकप्पे सुरवरा हुंति रुवपवियारा। महसुक्कसहस्सारे सद्दपवियारया देवा ॥ १ ॥ आणयपाणयकथ्ये आरण तह अच्चुए सुकम्पम्मि। देवा मणपवियारा तेण परं चूअपवियारा ॥ २ ॥ गोसीसागुरु के यइपत्तपुन्नागबउलगंधा यो चंपयकुवलयगंधा तगरेलसुगंधगंधा य ॥ ३ ॥ | एसा गं गंधविही उवमाए वण्णिया समासेणं । दिट्ठीएवि य तिविहा थिरसुकुमारा य फासेणं ॥ ४ ॥ तेवीसं च विमाणा चउरासीइं च सयसहस्साइं । सत्ताण्उर्इ सहस्सा उड्डलोए विभाणाणं ॥ ५ ॥ अउणाणउइ सहस्सा चउरासीइं च सयसहस्साइं । एगूणयं दिवङ्कं सयं च पुण्फावकिण्णाणं ॥ ६ ॥ सत्तेव सहस्साई सयाई बावत्तराई अट्ठ भवे । आवलियाई विमाणा सेसा पुप्फावकिण्णाणं ॥ ७॥ आवलिआइ विमाणाण अंतरं नियमसो असंखिज्जं । संखिजमसंखिजं भणियं पुष्फावकिन्नाणं ॥ ८ ॥ आवलियाइ विमाणा वट्टा तसा तहेव चउरंसा। पुण्फावकिण्णया पुण अणेगविहरुवसंगठाया ॥ ९ ॥ वट्टं खु वलयगंपिव तंसा सिंघाडयंपिव विमाणा । चउरंसविमाणा पुण अक्खाडयसंठिया भणिया ॥ २९० ॥ पढमं वट्टविमाणं बीयं तंसं तहेव चउरंसी एगंतरचउरंसं पुणोवि वट्टं पुणो तंसं ॥ १ ॥ वट्टं ॥ श्री देवेन्द्रस्तव सूत्रं ॥ १३ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021034
Book TitleAgam 32 Prakirnaka 09 Devendrastava Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages33
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_devendrastava
File Size6 MB
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