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अहण्णं देवाणुप्पिआणं विसयवासी जाव अहण्णं देवाणुप्पिआणं उत्तरिल्ले अंतवाले जाव पडिविसजेइ ॥२॥तए णं से भरहे राया|| तुरए णिगिण्हइ त्ता रहं पावत्तेइ त्ता जेणेव उसहकूडे तेणेव उवागच्छइ त्ता उसहकूडं पव्वयं तिक्खुत्तो रहसिरेणं फुसइ त्ता तुरए निगिण्हइ त्ता रहं ठवेइ त्ता छत्तलं दुवालसंसिअंअट्ठकण्णिअं अहिगरणिसंठिअंसोवण्णिअंकागणिस्यणं परामुसइ त्ता उसभकूडस्स पव्वयस्स पुरथिमिलंसि कडगंसि णामगं आउडेइ ओसप्पिणी इमीसे तइआइ समाइ पच्छिमे भाए। अहमंसि चक्कवट्टी भरहो इस नामधिजेणं ॥२५॥अहमंसि पढमराया अहयं भरहाहिवो णरवरिंदोोणत्थि महं पडिसत्तू जिअंमए भारहं वासं॥२६॥इतिकट्ठ णामगं| आउडेइ त्ता रहं पुरावत्तेइ त्ता जेणेव विजयखंधावारणिवेसे तेणेव उवागच्छइ त्ता जाव चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाए णिव्वताए समाणीए आउहघरसालाओपडिणिक्खभइ त्ता जाव दाहिणिं दिसिंवेअद्धपव्वयामिमुहे पयाते आविहोत्था॥३३॥ तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं जाव वेअद्धस्स पव्वयस्स उत्तरिल्ले णितंबे तेणेव उवागच्छइत्ता वेअद्धस्स पव्वयस्स उत्तरिल्ले |णितंबे दुवालसजोयणायामंजाव पोसहसालं अणुपविसइ जाव णमिविणमीणं विज्जाहरराईणं अट्ठमभत्तं पगिण्हइ त्ता पोसहसालाए जाव णमिविणमिविजाहररायाणो मणसीकरेमाणे २ चिट्ठइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि णमिविणमिविजाहररायाणो दिव्वाए मईए चोइअमई अण्णमण्णस्सअंतिअंपाउब्भवंति त्ता एवं वयासी उप्पण्णे खलु भो देवाणुप्पिा ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी तंजीअमेअंतीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं विजाहरराईणं चक्कवट्टीणं उवत्थाणि | ॥श्री जंबूदीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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