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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेत्तं उरपरिसप्या, से किं तं भुयपरिसप्या?, २ अणेगविहा पं० ०-नउला सेहा सरडा सल्ला सरंठा सारा खोरा घरोइला विस्संभा भूसा मंगुसा पयलाइया छीरविरालिया जहा चउप्पइया जे यावन्ने तहप्यारा, ते सभासओ दुविहा पं००-समुच्छिमा य गब्भवतिया य, तत्थ् णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा, तत्थ णं जे ते गब्भवतिया ते णं तिविहा पं० २०-इत्थी पुरिसा नपुंसगा, एएसिं णं एवमाइयाणं पजत्तापजत्ताणं भुयपरिसप्याणं नव जाइकुलकोडिजोणिपमुहसयसहस्सा भवन्तीतिमक्खायं, सेत्तं भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया, सेत्तं परिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया ३५से किं तं खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया ?, २ चविहा पं० २० चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विययपक्खी, से किं तं चम्मपक्खी?, २ अणेगविहा |पं० २०. वग्गुली जलोया अडिल्ला भारंडपक्खी जीवंजीवा समुद्दवायसा कण्णत्ति पक्खिविरालिया जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं चम्मपक्खी, से किं तं लोमपक्खी?, २ अणेगविहा पं० २०. ढंका कंका कुरला वायसा चकागा हंसा कलहंसा रायहंसा पायहंसा आडा सेडी वगा बलागा पारिष्यवा कोंचा सारसा मेसरा मसूरा मयूरा सत्तहत्था गहरा पोंडरीया कागा कामिंजुया वंजुलगा तित्तिरा वगा लावगा कवोया कविंजला पारेवया चिडगा चासा कुक्कुडा सुगा बरहिणो मयणसलागा कोइला सेह। वरिल्लगमाई, सेत्तं लोभपक्खी, से किं तं समुग्गपक्खी?, २ एगागारा पं०, ते णं नत्थि इहं बाहिरएसु दीवसमुद्देसु भवन्ति, सेत्तं समुग्गपक्खी, से किं तं विययपक्खी?, २ एगागारा पं०, ते णं नत्थि इह, बाहिरएसु दीवसमुद्देसु भवन्ति, सेत्तं विययपक्खी, ते समासओ दुविहा ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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