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आहार भविय सण्णी लेसादिट्ठी य संजत कसाए।णाणे जोगुवओगे वेदे य सरीर पज्जती॥२२०॥ जीवे णं भंते! किं आहारए | अणाहारए?, गो०! सिय आहारए सिय अणाहारए, एवं नेइए जाव असुरकुमारे जाव वेमाणिए, सिद्धे णं भंते! किं आहारए अणाहारए?, गो०! नो आहारए अणाहारए, जीवा णं भंते! किं आहारया अणाहारया?, गो०! आहारयावि अणाहारयावि, नेरइयाणं,|| पुच्छा, गो०! सव्वेवि ताव होजा आहारया अहवा आहारगा यअणाहारए य अहवा आहारगाय अणाहारगा य, एवं जाव वेमाणिया, णवरं एगिदिया जहा जीवा, सिद्धाणं पुच्छा, गो० ! नो आहारगा अणाहारगा। दारं १। भवसिद्धिए णं भंते! जीवे किं आहारते | अणाहारते?, गो०! सिय आहारते सिय अणाहारए, एवं जाव वेमाणिए, भवसिद्धिया णं भंते! जीवा किं आहारगा अणाo?, गो०! जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, अभवसिद्धिएविएवं चेव, नोभवसिद्धियनोअभवसिद्धिए णं भंते! जीवे किं आहारए अणाहारए?, गो०! णो आहारए अाहारए, एवं सिद्धेवि, नोभवसिद्धियनोअभवसिद्धिया णं भंते! जीवा किं आहारगा अणाहारगा?, गो०! नो आहारगा अणाहारगा, एवं सिद्धावि दारं २१ सण्णी णं भंते! जीवे किं आहारए अणाहारए?, गो०! सिय आ० सिय अणा०, एवं जाव वेमाणिए णवरं एगिदियविगलिंदिया नो पुच्छिज्जति, सण्णी णं भंते! जीवा किं आहारगा अणाहार॥?, गो०! जीवाइओ तियभंगो जाव वेमाणिया, असण्णी णं भंते! जीवे किं आहारए अणाहारए?, गो०! सिय आ० सिय अणा०, एवं णेरइए जाव वाणमंतरे, जोइसियवेमाणिया ण पुच्छिज्जति, असण्णी णं भंते! जीवा किं आ० अणा?, गो०! आहारगावि अणाहारगावि एगो ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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