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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||जे यावने तहप्पगारा, सव्वे ते संभुच्छिमा नपुंसगा, ते समासओ दुविहा पं० २०-पजत्तगा य अपज्जतगा य, एएसिं णं एवमाइयाणं|| तेइंदियाणं पजत्तापजत्ताणं अट्ठ जाइकुलकोडिजोणिप्यमुहसयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, सेत्तं तेइंदियसंसारसमावनजीवपन्नवणा १२८1 से किं तं चरिदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा?, २ अणेगविहा पं० २० - 'अंधिय पोत्तिय मच्छिय मसगा कीडे तहा पयंगे यो ढंकुण कुक्कुड कुक्कुह नंदावते य सिंगिरिडे॥१११॥ किण्हपत्ता नीलपत्ता लोहियपत्ता हालिद्दपत्ता सुकिल्लपत्ता चित्तपक्खा विचित्तपक्खा ओहंजलिया जलचारिया गंभीरा णीणिया तंतवा अच्छिरोडा अच्छिवेहा सारंगा नेउरा दोला भमरा भरिली जरुला तोहा विंछुया पत्तविच्छ्या छाणविच्छुया जलविच्छ्या पियंगाला कणगा गोमयकीडा जे यावन्ने तहप्पगारा, सव्वे ते संमुच्छिमा नपुंसगा, ते समासओ दुविहा पं० २०-प्रज्जतगा य अपज्जत्तगा य, एएसिं णं एवमाइयाणं चरिदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं नव जाइकुलकोडिजोणिप्पमुहसयसहस्साई भवंतीतिमक्खायं सेत्तं चरिंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा।२९। से किं तं पंचेंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा?, २ चव्विहा पं० २०-नेरइयपंचिंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा तिरिक्खजोणियपंचिंदिय० मणुस्सपंचिंदिय० देवपंचिंदि० १३० से किं तं नेरझ्या?, २ सत्तविहा पं० २०-२यणप्यभापुढवीनेरइया सक्करप्पमा० वालुयप्पभा० पंकय्यभा० धूमप्यमा० तमध्यभा० तमतमध्यभा०, ते समासओ दुविहा पं० २०-पज्जतगा य अपजत्तगा य, सेत्तं नेरइया॥३१॥ से किं तं पंचिंदियतिरिक्खजोणिया?, २ तिविहा पं० तं०-जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया य थलयर० य खहयर० य ३२॥ ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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