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|क?, गो०! मिच्छादसणसल्लविरतस्स जीवस्स आरंभिया सिय क० सिय नो क० एवं जाव अपच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया न क०, मिच्छादसणसल्लविरयस्स णं भंते! नेरइयस्स किं आरंभिया क० जाव मिच्छादसणवत्तिया क०? गो०! आरंभिया कं० जाव अपच्चक्खाणकिरियाविक०, मिच्छादसणवत्तिया नोक०,एवं जावथणियकुमारस्स, भिच्छादसणसल्लविरयस्स णं भंते! पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स एवमेव पुच्छा, गो०! आरंभिया क० जाव मायावत्तिया क० अपच्चक्खाणकि० सिय क० सिय नो क०, भिच्छादसणवत्तिया नो क०, मणूसस्स जहा जीवस्स, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा नेरइयस्स, एतासिं णं भंते! आरंभियाणं जाव मिच्छादसणवत्तियाण य कतरे०?, गो०! सव्वत्थोवाओ भिच्छादसणवत्तियाओ अपच्चक्खाण० विसे० परिगहियातो विसे० आरंभियातो किरियातो विसे० मायवत्तियातो विसेसाहियातो १२८८॥ किरियापयं २२ ॥
कति पगडी कह बंधति कइहिवि ठाणेहिं बंधए जीवो। कति वेदेइ य पयडी अणुभावो कइविहो कस्स ॥२१७॥ कति णं भंते! कम्मपगडीओ पं०?, गो०! अट्ठ कम्पगडीओ पं० २०-गाणावरणिजं दसणावरणि वेदणिज मोहणिजं आउयं नाम गोयं अतराइयं, नेरझ्याणं भंते! कइ कम्मपगडीओ पं०?, गो०! एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाण।२८९। कहण्ण भंते! जीवे अट्ठकम्मपगडीतो बंधति?, गो०! नाणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं दरिसणावरणिज कम्मणियच्छति सणावरणिजस्स कम्मरस उदएणं दंसणमोहणिजं कम्म णियच्छति दंसणमोहणिजस्स कम्मरस उदएणं मिच्छतं नियच्छति मिच्छतेणं उदिएणं गो०! एवं ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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