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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org सेत्तं जलरुहा, से किं तं कुहणा ?, २ अणेगविहा पं० तं० आए काए कुहणे कुणक्के दव्वहलिया सफाए सज्झाए छत्तोए वंसीण हिताकुरए जे यावन्ने तहम्पगारा, सेत्तं कुहणा, णाणाविहसंगणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता । खंधावि एगजीवा तालसरलणालिएरीणं ॥ ४४ ॥ जह सगलसरिसवाणं सिलेसमिस्साण वट्टिया विट्टी । पत्तेयसरीराणं तह होंति सरीरसंधाया ॥४५ ॥ |जह वा तिलपप्पडिया बहुएहिं तिलेहिं संहता संती। पत्तेयसरीराणं तह होंति सरीरसंघाया ॥४६॥ सेत्तं पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइया ।२३। से किं तं साहारणसरीरबादरवणस्सइकाइया?, २ अणेगविहा पं० तं० अवए पणए सेवाले लोहिणी मिहुत्थु हुत्थिभागा(य) | अस्सकन्नि सीहकन्नी सिउंढि तत्तो मुसुंढी य ॥४७॥ रुरुकुण्डरिया जीरू छीर विराली तहेव किट्टीया। हालिह सिंगबेरे य आतुलुगा मूलए इय ॥ ४८ ॥ कंबूयं कन्नुकडं सुमत्तओ वलइ तहेव महुसिंगी । नीरुह सम्पसुगंधा छिन्नरुहा चेव बीयरुहा ॥४९ ॥ पाढा |भियवालुंकी महररसा चेव रायवल्ली यो पउमा माढरि दंतीति चंडी किट्ठी (ट्टी) त्ति यावरा ॥ ५० ॥ मासपण्णी मुग्गपण्णी जीवियर सहे य रेणुया चेव । काओली खीरकाओली तहा भंगी नही इय ॥ ५१ ॥ किमिरासि भद्द मुच्छा, मंगलई पेलुगा इय। किण्हा पउले य हढे, हरतणुया चेव लोयाणी ॥ ५२ ॥ कण्हे कंदे वज्जे सूरणकंदे तहेव खल्लूरे। एए अणंतजीवा जे यावन्ने तहाविहा ॥५३॥ तणमूल कंदमूले, वंसीमूलेत्ति आवरे। संखिज्जमसंखिजा, बोद्धवाणंतजीवा य ॥५४॥ सिंघाडगस्स गुच्छो अणेगजीवो उ होइ नायव्वो । पत्ता पत्तेयजीवा दोन्नि य जीवा फले भणिया ॥५५॥ जस्स मूलस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसह । अनंतजीवे उसे ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित १४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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