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| बादरतेऊकाइया । सेत्तं तेऊकाइया (१७) से किन्तं वाउकाइया ? २ दुविहा पं० तं०-सुहुमवाउकाइया य बादरवाउकाइया य से किन्तं सुहुमवाउकाइया?, २ दुविहा पं० तं० पज्जत्तगसुहुमवाउकाइया य अपज्जत्तगसुहुमवाउकाइया य, सेत्तं सुहुभवाउकाइया, से किन्तं बादरवाउकाइया?, २ अणेगविहा पं० तं० - पाईणवाए पडीणवाए दाहिणवाए उदीणवाए उड्ढवाए अहोवाए तिरियवाए विदिसीवाए वाउब्भामे वाउक्कलिया वायमंडलिया उक्कलियावाए मंडलियावाए गुंजावाए झंझावाए संवट्टवाए घणवाए तणुवाए सुद्धवाए जे यावण्णे तहम्यगारा, ते समासओ दुविहा पं० तं०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते असंपत्ता, तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा एतेसिं णं वण्णादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेजाई जोणिष्पमुहस्यसहस्साइं पज्जत्तगनिस्साए अपज्जत्तया वक्कमति जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखेज्जा, सेत्तं बादरवाउक्काइया, से तं वाउक्काइया । १८ । से किं तं वणस्सइकाइया?, २ दुविहा पं० तं० - सुहुभवणस्सइकाइया य बायरवणस्सइकाइया य ।१९। से किन्तं सुहुभवणस्सइकाइया ?, २ दुविहा पं० तं० पज्जत्तगसुहुमवणस्सइकाइया य अपज्जत्तगसुहुमवणस्सइकाइया य, सेत्तं सुहुभवणस्सइकाइया ।२० । से किन्तं बादरवणस्सइ० ?, २ दुविहा पं० तं०-पत्तेयसरीरबादरवणस्सइ० साहारणसरीरबादरवणस्सइ० ||२१| से किन्तं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया?, २ दुवालसविहा पं० नं० - रुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पव्वगा चेव । तण वलय हरिया ओसहि जलरुह कुहणा य बोद्धव्वा ॥ १४ ॥ २२। से किन्तं रुक्खा ?, २ दुविहा पं० तं० एगट्टिया य बहुबीयगा ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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