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| सेत्तं पुढवीकाइया १५। से किं तं आउक्काइया?, २ दुविहा पं० २० - सुहमआउकाइया य बादरआउकाइया य, से किं तं सुहुमआउकाइया ?, २ दुविह। ५० त०-प्रज्जत्तसुहुमआउकाइया र अपज्जतसुहुम० य, सेत्तं सुहुमआउकाइया, से किं तं बादरआउकाइया?, २ अणेगविहा पं० २०-उस्सा हिभए महिया करए हरतणुए सुद्धोदए सीतोदए उसिणोदए खारोदए खट्टोदए अम्बिलोदए लवणोदए वारुणोदए खीरोदए घओदए खोतोदए रसोदए जे यावने तहप्यारा, ते समासओ दुविहा पं० २०-प्रज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तत्थ णं जे ते अपज्जता तेणं असंपत्ता तत्थ णं जे ते पजत्ता एतेसिं वण्णादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेजाई जोणिप्यमुहसयसहसाई पजत्तगनिस्साए अपज्जत्तगा वक्कमति जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखिज्जा । से तं बादरआउकाइया। से तं आउकाइया ११६। से किं तं तेऊकाइया?, २ दुविहा पं० २०-सुहुमतेऊकाइया य बादरऊकाइया य, से किन्तं सुहुमतेऊकाइया ?, २ दुविहा पं० २० -प्रज्जत्ता य अपजत्तगा य, सेत्तं सुहुमतेफकाइया। से किं तं बादरतेउकाइया ?, २ अणेगविहा पं० ०-इङ्गाले जाला मुम्भुरे अच्ची अलाए सुद्धागणी उक्का विजू असणी णिग्याए संघरिससमुट्ठिए सूरकन्तमणिणिस्सिए जे यावने तहण्यगारा, ते समासओ दुविहा पं० २०-प्रज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, तत्थ् णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थ् णं जे ते पजत्तगा एएसिंणं वनादेसेणं गन्धादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सम्गसो विहाणाई सङ्केजाई जोणिप्पमुहसयसहस्साई पजत्तगणिस्साए अपजत्तगा वक्कमति जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखिज्जा। सेत्तं ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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