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जाव वेमाणियावसाणाणं नेतव्व।१४७। नेरइया णं भंते! किं आहारसत्रोवउत्ता भय० मेहुण० परिग्गहसनोवउत्ता?, गो०! ओसन || कारणं पडुच्च भयसनोवत्ता संतइभाव पडुच्च् आहासत्रोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि, एएसिं णं भंते! नेरझ्याणं आहारसन्नोवउत्ताणं भय० मेहुण० परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा नेरइया मेहुणसन्नो आहारसन्नो० संखि० परिग्गहसन्नो० संखि० भयसन्नो० संखि०, तिरिक्खजोणियाणं भंते! किं आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता?, गो०! ओसन्न कारणं पडुच्च आहारसन्नोवउत्ता संतइभावं पडुच्च आहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि, एएसिं णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण यकयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया परिग्गहसन्नोवउत्ता मेहुण सन्नो० संखि० भयसन्नो० संखि० आहारसन्नोवउत्ता संखि०, मणुस्सा णं भंते! किं आहारसन्नोवत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता?, गो०! ओसन्नं कारणं पडुच्च मेहुणसन्नोवउत्ता संततिभावं पडुच्च आहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि, एएसिं णं भंते! मणुस्साणं आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिश्गहसनोवउत्ताण य कयरे? गो सव्वत्थोवा मणूसा भयसन्नान्नो० | आहारसन्नो० संखि० परिग्गहसन्नो० संखि० मेहुणसन्नो० संखि०, देवा णं भंते! किं आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता?, गो०! ओसन्न कारणं पडुच्च् परिग्गहसन्नोवउत्ता संततिभावं पडुच्च् आहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि, एएसिंणं भंते! देवाणं आहारसन्नोवउत्ताणंजाव परिम्गहसन्नोवउत्ताण यकयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा देवा आहार० भ्यस० संखि० मेहुणस० ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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