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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पक्खाणं, मज्झिमहिमिगेविजगा णं देवा णं भंते! केवइकालस्स०, गो०! जह० पणवीसाए पक्खाणं उक्को० छव्वीसाए || पक्खाणं०, मज्झिममज्झिमगेविज्जगा णं देवा णं भंते! केवइकालस्स०?, गो०! जह० छव्वीसाए पक्खाणं उक्को० सत्तावीसाए पक्खाणं० मज्झिमउरिमगेविजगा णं देवा णं भंते! केवइकालस्स०?, गो०! जह० सत्तावीसाए पक्खाणं उक्को० अट्ठावीसाए पक्खाणं०, उवरिमहेट्ठिमगेविज्जगा णं देवा णं भंते! केवइकालस्स०?, गो०! जह० अट्ठावीसाए पक्खाणं उक्को० एगूणतीसाए पक्खाणं०, उवरिममज्झिमगेविज्जगा णं देवा णं भंते! केवइकालस्स०?, गो०! जह० एगूणतीसाए पक्खाणं उक्को० तीसाए पक्खाणं०, उवरिमउवरिमगेविज्जगा णं देवा णं भंते! केवइकालस्स०?, गो०! जह० तीसाएं पक्खाणं उक्को० एकतीसाए पक्खाणं०, विजयविजयंतजयंतअपराजितविमाणेसु णं देवा णं भंते! केवतिकालस्स०?, गो०! जह० एक्कतीसाए पक्खाणं उक्को० तेत्तीसाए पखाणं०, सव्वट्ठगसिद्धदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा?, गो०! अजहन्नमणुक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा १४६॥ उस्सासपयं७॥ __ कइ णं भंते! सनाओ पं०?, गो०! दस सन्नाओ पं० २०-आहारसना भय० मेहुण० परिग्गह० कोह० माण० माया० लोह० लोय० ओघसना, नेरइयाणं भंते! कति सन्नाओ पं०?, गो०! दस सन्नाओ पं० २०-आहारसन्ना जाव ओघसन्ना, असुरकुमाराणं भंते! कइ सन्नाओ पं०?, गो०! दस सन्नाओ पं० तं०-आहारसना जाव ओघसना, एवं जाव थणियकुमारणं, एवं पुढवीकाइयाणं ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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