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________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatiram.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir | अद्वारसत्ताणउने जोयणसते विक्खंभेणं पंचमचउके सत्तजोयणसताई आयामविक्खंभेणं बाविसं तेरसोत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं, छट्टच्उक्के अट्ठजोयणसताई आयामविक्खंभेणं पणवीसं गुणतीसजोयणसए परिक्खेवेणं सत्तमचउक्के नवजोयणसताई आयामविक्खंभेणं दो जोयणसहस्साई अट्ठ पणयाले जोयणसए परिक्खेवेणं, जस्स य जो विक्खंभो उग्गहो तस्स तत्तिओ चेव । पढमाझ्याण परिरतो जाण सेसाण अहिओ उ ॥ २६ ॥ सेसा जहा एगुरुयदीवस्स जाव सुद्धदंतदीवे, देवलोकपरिग्गहा णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो! कहिं णं भंते! उत्तरिलाणं एगुरुयमणुस्साणं एगुरुयदीवे णाम दीवे पं०? गो०! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं सिहरिस्स वासघरपव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमिलाओ चरिमंताओ लवणसमुदं तिण्णि जोयणसताई ओगाहित्ता एवं जहा दाहिणिलाणं तहा उत्तरिलाणं भाणितव्वं णवरं सिहरिस्स वासहरपव्वयस्स विदिसासु एवं जाव सुद्धदंतदीवेत्ति जाव सेत्तं अंतरदीवका । ११३ । से किं तं अकम्मभूमगमणुस्सा?, २ तीसविधा पं० २०-पंचहिं हेमवएहिं एवं जहा पण्णवणापदे जाव पंचहिं उत्तरकुरूहि, सेत्तं अकम्मभूमगा, से किं तं कम्म भूमगा?, २ पण्णरसविधा पं० २०-पंचहिं भरहेहिं पंचहिं एरवएहिं पंचहिं महाविदेहेहिं, ते समासतो दुविहा पं० तं०-आयरिया मिलेच्छ। एवं जहा पण्णवणापदे जाव सेत्तं आयरिया, सेत्तं गब्भवक्कंतिया, सेत्तं मणुस्सा ॥११४॥ से किं तं देवा?, २ चव्विहा पं० २०-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया ११॥ से किं तं भवणवासी?, २ दसविही पं० २०असुरकुमारा जहा पण्णवणापदे देवाणं भेओ तहा भाणितव्यो जाव अणुत्तरोक्वाइआ पंचविधा पं० २०-विजयवेजयंतजाव॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal
SR No.021016
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages267
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size15 MB
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