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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओघारेति त्ता एगंतं अवकमति अन्नभन्नं एवं व०-जस्सणं देवाणुप्पिया! चित्ते सारही दंसणं कंखइ दसणं पत्थेइ देसणं पीहेइदसणं अभिलसइ जस्स णं णामगोयस्सवि सवणयाए हट्टतुटुजावहियए भवति से णं एस केसीकुमारसमणे पुव्वाणुपुदि चरमाणे | गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सेयवियाए णगरीए बहिया मियवणे उजाणे अहापडिरूवंजाव विहरइ, |तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया! चित्तस्स सारहिस्स एयमटुं पियं निवेएमो पियं से भवउ, अण्णमण्णस्स अंतिए एयम्टुं पडिसुणेति ना जेणेव सेयविया णगरी जेणेव चित्तस्स सारहिस्स गिहे जेणेव चित्ते सारही तेणेव उवागच्छंति त्ता चित्तं सारहिं कयल जाव वद्धाति त्ता एवं व०-जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं कंखंति जाव अभिलसंति जस्स णं णाभगोयस्सवि सवणयाए हट्ठजाव भवह से णं अयं पासावच्चिजे केसी नाम कुमारसमणे पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे० समोसढे जाव विहरइ, तए णं से चित्ते सारही तेसिं उजाणपालगाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव (प्र०नवरे) आसणाओ अब्भुटुंति पायपीढाओ पच्चोरुहइ त्ता पाउआओ ओमुयइ त्ता एगसाडियं उत्तासंगं रेइ अंजलिमउलियग्गहत्थे केसिकुमारसमणाभिमुहे सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइ त्ता करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं व०-नमोऽत्यु णं अहंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं केसिस्स कुमारसमणस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामिणं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयंतिकटु वंदइ नभंसइ ते उजाणपालए विउलेणं वत्थगंधमलालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ विडलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ त्ता पडिविसज्जइ ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ।। | ७४ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021015
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages121
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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