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|घंटावंसि णिसंतपसंतसि महया २ सद्देणं उग्गोसेमाणे २ एवं वदासी हंत सुणंतु भवंतो सूरियाभविभाणवासिणो बहवे वेमाणिया|| देवा य देवीओ य! सूरियाभविमाणवइणो वयणं हियसुहत्थं आणावणियं (प्र० आणवेइ णं) भो! सूरिया देवे गच्छइ णं भो सूरियाभे देवे जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं आमलकप्पं नयरिं अंबसालवणं चेइयं समणं भगवं महावीरं अभिवंदए तं तुब्भेऽवि णं देवाणुप्पिया! सव्विड्ढीए! अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउब्भवह ॥१२॥ तए णं ते सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा देवीओ य पायत्ताणियाहिवइस्स देवस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठजावहियया अपेगइया वंदणवत्तियाए अपेगइया पूयणवत्तियाए अप्पेगइया सकारवत्तियाए एवं संभाणवत्तियाए कोउहल्लवत्तियाए अप्पे० असुयाई सुणिस्सामो सुयाई अट्ठाई हेऊई पसिणाई कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामो अप्पे० सूरियाभस्स देवस्स वयणमणुयत्तमाणा अप्पे० अन्नमन्त्रमणुयत्तमाणा अपे० जिणभत्तिरागेणं अपे० धम्मोत्ति अप्पे० जीयमेयंतिकटु सविड्ढीए जाव अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउब्भवंति ।१३। तए णं से सूरिया देवे ते सूरियाभविभाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य अकालपरिहीणं चेव अंतियं पाउब्भवमाणे पासति त्ता हट्टतुट्ठजावहियए आभिओगियं देवं सहावेति त्ता एवं व्यासी खियामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखंभसयसंनिविढे लीलट्ठियसालभंजियागं ईहाभियउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिंनरुरुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्तं खंभुगयवरवइरवेइयापरिगयाभिरामं विजाहरजमलजुयलजंतजुत्तंपिव अच्चीसहस्समालिणीयं ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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