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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेइस्सइत्ता जस्साए कीरइणग्गभावे केसलोचबंभचेरवासे अण्हाणगं अदंतवणं अच्छत्तगंअणुवहाणगं भूमिसेजाओ फलहसेज्जाओ प्रघरपवेसो लद्धावलद्धाई माणावमाणणाई रेसिं हीलणाओ खिंसणाओ गरहणाओ तालणाओं उच्चाव्या विरूवा बावीसं पीसहोवसम्गा गामकंटगा अहियासिजति तमटुं आराहेइ त्ता चरिमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं सिज्झिहिति बुझिहिति मुच्चिहिति परिनिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति ८४॥ सेवं भंते रत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति। णमो जिणाणं जियभयाणं, णमो सुयदेवयाए भगवतीए, णमो पण्णत्तीए भगवईए, णमो भगवओ अहओ पासस्स पस्से सुपस्से पस्सवणा णमो ८५। रायप्पसेणइज्जोवंगं २॥ इति श्री राजप्रश्रीयोपांग सूत्रं संपूर्ण ॥ प्रभु महावीरस्वामीनी पट्टपंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा-चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक, सैलाना नरेश प्रतिबोधक, देवसूर तपागच्छ, समाचारी संरक्षक,आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश् श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ प्रतापी-सिध्धचक्र आराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म. सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्य विजेतामालवोध्धारक महोपाध्याय श्रीधर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगम विशारद, नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पंन्यास प्रवर श्री अभयसागरजी म. सा. शिष्य शासन प्रभावक, नीडर वक्ता पू. आ. श्री अशोकसागर सूरिजी म.सा. शिष्य परमात्म भक्ति रसभूत यू. आ. श्री जिनचन्द्रसागर सू.म.सा. लघुगुरुभ्राता प्रवचन ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ | १०६ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021015
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages121
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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