________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir | वल्लभ // 1 // दर्पकस्तुरी॥ कुंकुमंकेशरं॥ ॥कुष्टमांसीहरिद्रेदेसुराशैलेयचंदन।यचा |चंपक मुस्ताचसर्वोषध्योदशस्मृताः॥१॥सुराउशीर॥चंदनमितिप्रसिद्धः कुष्टंप्रसिदं॥मांसी जटामांसी॥हरिद्ररे आंबीहळदवहळद॥मुरामोरवेल॥शेलेयशिलाजित॥यचा वेरखंड। मुस्ताभद्रमोथ॥ पाठभेदे उशीरं वाला॥ ॥भविष्यपुराणे॥ आपः क्षीरंकुशायाणिदध्य क्षतनिलास्तथा।यवाः सिद्धार्थकावअर्घोटांग: प्रकीर्तितः॥१॥सिद्धार्थक श्वेतशि रीष॥ तत्रैव॥ ॥सवर्णरजतंतामंआरकूटतथैवच॥ लोहंत्रपुतथासीसंधानयः प || रिकीर्तिताः॥१॥ आरकूटं॥ सोनपिनल॥त्रपूकथील॥ ॥पंचरात्रे॥रजांसिपंचव / For Private and Personal Use Only