________________ www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie संस्कार // 11 // | नगो: क्षीरंद्वादशमाप॥ रुष्णगोघृतं अष्टमार्फ॥ कुशोदकंचतुर्माषं॥अवमाषः पंचगुंजात्म भास्कर कइतिधर्मसिंधी॥ ॥मदनरत्नेकात्यायनः॥आज्यंक्षीरंमधुतथामधुरत्रयमुच्यते॥प योदधिघृतंचैवमधुशर्करयायुतं॥पंचामृतमिदंप्रोक्तं सर्वदेवप्रसादकं // // ब्राह्म॥अश्व त्योदुंबरप्लक्षचूतन्ययोधपल्लवाः॥पंचप्नंगाइतिप्रोक्तासर्वकर्मसुशोभनाः॥१॥अश्वत्यो दुंबरोब्राह्मइतिपाठभेदः॥ तथाच॥ प्लक्षः॥पिंपरी॥पारोसापिंपळइतिप्रसिद्धः॥ // |यक्षकर्दम उक्तोगारुडे॥ कर्पूरमगरुश्चैव कस्तूरीचंदनंतथा॥ कंकोलंचभवेदेमिपंचमि // 11 // यक्षकईमः॥ तथा // कपूरचंदनंदकुंकुमंचसमांशकं॥ सर्वगंधमितिप्रोक्तंसमस्तसर|| For Private and Personal Use Only