________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नचलरोक्रलिजश्चसपत्नीकंयजमानप्रामुखमुपविष्टमभिषिंचेयुः॥ तत्रमंत्राः॥ ॐ ||| आपोहिष्टा // 1 // यो शिव // 2 // नस्माऽअरं ॥३॥आपोऽअस्मान्मातर शुन्धयन्तु घृतेननोनय पुनन्तु॥विश्व-हिरिप्रम्प्रवहन्तुदेवीरुदिदा यह शुचिरापूत एमि॥१॥ इदमापुःप्रवहनाद्यञ्चमलन्यत्॥यञ्चाभिदुद्रोहान्नैतन्यच्चोपे अधीरुणम्।। पौमातस्मादेनंसु पर्वमाननमुचतु॥५॥स्तोकानामिन्दुम्पतिभूर इन्द्रौवृषायमानो | मस्तुग़षाट्॥घृतमुषामनामोदैमाना स्वाहादेवा अमृतामादयन्ताम्॥ ६॥माया | बिन्द्रोसः उपना हस्तुतसंघमादस्तुशूरः // वावृधानस्तविषीर्यस्यपूर्वी?नक्षत्र For Private and Personal Use Only