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॥ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्गम् ॥
तेणं कालेणं०चंपानामं नगरी पुन्नभद्दे चेतिए वन्नओ, तेणं कालेणं अज्जसुहम्मे समोसरिए परिसा निग्गया जाव पडिगया, तेणं का० अज्जसुहम्मस्स अंतेवासी अज्जजंबू जाव पज्जुवासति, एवं वदासी जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स । उवासगदसाणं अयमट्टे पं० अट्ठमस्स णं भंते ! अंगस्स अंतगडदसाणं० के अट्ठे पं० १. एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्टमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अट्ठ वग्गा पं०, जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अड्ड वग्गा पं० पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पं०?, एवं खलु जंबू ! समणेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वगस्स दस अज्झणया पं० तं० 'गोयम समुह सागर गंभीरे चेव होइ थिमिते या अयले कंपिल्ले खलु अक्खोभ पसेणती विण्हू ॥१॥ जति णं भंते ! समणेणं जाव संप० अट्टमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पं० पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स के अट्ठे पं०?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० बारवतीणामं नगरी होत्था, दुवालसजोयणायामा नवजोअणवित्थिण्णा धणवइमतिनिम्माया चामीकरपागारा नाणामणिपंचवन्त्रक विसीसगमंडिया सुरम्भा ॥ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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