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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatiram.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir एसा अमरकंका संभग जाव सन्निवइया, तते णं से पउमणाहे कविलं वासुदेवं एवं व०-एवं खलु सामी! जंबुद्दीवाओ दीवाओ|| भारहाओ वासाओ इह हव्वमागम्म कण्हेणं वासुदेवेणं तुब्भे परिभूय अमरकंका जाव सन्निवाडिया, तते णं से कविले वासुदेवे| पउमणाहस्स अंतिए एयभट्ट सोच्चा पउमणाहं एवं व०- हंभो! एउमणाभा! अपत्थियपत्थ्यिा किन्नं तुम न जाणसि मम सरिसपुरिसस्स कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणे?, आसुरुत्ते जाव पउभणाहं णिव्विसयं आणवेति, पउमणाहस्स पुत्तं अमरकंकारायहाणीए महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचति जाव पडिगते ।१३१तते णं से उण्हे वासुदेवे लवणसमुई मझूमझेणं वीतिवयति, ते पंच पंडवे एवं व०- गच्छाह णं तुब्भे देवा०! गंगामहानदिं उत्तरह जावताव अहं सुट्टियं लवणाहिवई पासामि, तते णं ते पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा जेणेव गंगामहानदी तेणेव ३० त्ता एगट्टियाए णावाए मगणगवेसणं करेंति त्ता एगट्टियाए णावाए गंगामहानदिं उत्तरंति त्ता अण्णमण्णं एवं वयन्ति पहू णं देवा०! कण्हे वासुदेवे गंगामहाणदिं बाहाहिं उत्तरत्तिए उदाहु णो पभू उत्तरित्तएत्तिकट्ट एगट्ठियाओ नावाओ णू ति त्ता कण्हं वासुदेवं पडिवालेभाणा २ चिट्ठति, तते णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं लवणाहिवई पासति त्ता जेणेव गंगा महाणदी तेणेव ३० त्ता एगट्टियाए सवओ समंता मागणगवेसणं करेति त्ता एगट्टियं अपासमाणे एगाए बाहाए रहं सतुरगंससारहिं गेण्हइ एगाए बाहाए गंग महाणदि बासहि जोयणातिं अद्धजोयणं च विच्छिन्नं उत्तरिउपयत्ते यावि होत्था, तते णं से कण्हे वासुदेवे गंगामहाणदीए बहुमझदेसभागं संपत्ते समाणे संते तंते परितंते बद्धसेए जाए यावि होत्था, तते णं कण्हस्स | ॥श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021008
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Prakashan
Publication Year2005
Total Pages279
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size74 MB
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