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अकालपरिहीणं चेव कंपिल्लपुरे नथरे समोसरह, तए णं से दूए करयल जाव कडु दुवयस्स रण्णो एयभटुं पडिसुणेति त्ता जेणेव सए|| गिहे तेणेव उवागच्छइ त्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं व०-खिय्यामेव भो देवाणुप्पिया! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव उवट्ठति, तए णं से दूर हाते जाव अलंकार० सरीरे चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ त्ता बहूहिं पुरिसेहिं सन्नद्धजावगहियाऽऽउहपहरणेहि सद्धिं संपरिवुडे कंपिल्लपुरं नगरं मझूमझेणं निग्गच्छति त्त। पंचालजणवयस्स मझूमझेणं जेणेव देसप्यंते तेणेव उवागच्छइ, सुरद्वाजणवयस्समझूमझेणं जेणेव बारवती नगरी तेणेव उवागच्छइत्ता बारवई नगरि मझमझेणं अणुपविसइ त्ता जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्घंटं आसरह ठवेइ त्ता रहाओ पच्चोरुहति त्ता मणुस्सवागुरापरिक्खित्ते पायविहारचारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवा० त्ता कण्हं वासुदेवं समुद्दविजयपामुक्खे य दस दसारे जाव बलवगसाहस्सीओ) करयल तं चेव जाव समोसरह, तते णं से कण्हे वासुदेवे तस्स दूयस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म हट्ठजाव हियए तं दूयं सकारेइ सम्भाणेइ त्ता पडिविसज्जेइ, तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसं सद्दावेइ एवं व०- गच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिया! सभाए सुहम्माए सामुदाइयं भेरि तालेहि, तए णं से कोडुंबियपुरिसे करयल जाव कण्हस्स वासुदेवस्स एयमटुं पडिसुणेति त्ता जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाइया भेरी तेणेव उवागच्छइ त्ता सामुदाइयं भेरि महया २ सद्देणं तालेइ, तए णं ताए सामुदाइयाए भेरीए तालियाए समाणीए समुद्दविजय पामोक्खा दस दसारा जाव महसेणपामुक्खाओ छप्पण्ण बलवगसाहस्सीओ पहाया जावविभूसिया जहाविभवइड्डिस॥ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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