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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassa garsuri Gyanmandir अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियटुंति, जमाली णं भंते ! अणगारे अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे|| लूहाहारे. तुच्छाहारे अरसजीवी विरसजीवी जाव तुच्छजीवी उवसंतजीवी पसंतजीवी विवित्तजीवी ?, हंता गोयमा ! जमाली | अणगारे असाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी, जति णं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी, जतिणं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी कम्हाणं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमहितिएसु देवकिब्बिसिएसु देवेसु देवकिब्बिसियत्ताए उववन्ने ?, गोयमा! जमाली णं अणगारे आयरियपडिणीए उवझायपडिणीए आयरियउवझायाणं अयसकारएजाव वुप्पाएमाणे जाव बहूई वासाई सामनपरियागं पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेति त्ता तस्स गणस्स अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किच्चालंतए कप्पे जाव उववन्ने ३८८) जमाली णं भंते ! जेवे ताओ देवलोयाओ आउखएणं जाव कहिं उववन्जिहिइ ?, गोयमा ! चत्तारि पंच तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवभवगहणाइंसंसारं अणुपरियट्टित्ता तओ पच्चा सिज्झिहिति जाव अंतं काहेति सेवं भंते ! २ ति।३८९ । जमाली समत्तो ॥श०९ ३० ३३॥ तेणं कालेणं० रायगिहे जाव एवं क्यासी पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसं हणइ नोपुरिसे हणइ ?, गोयमा ! पुरिसंपि हणइ नोपुरिसेऽविहणति, सेकेणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ पुरिसंपिहणइ नोपुरिसेऽवि हणइ?, गोयमा! तस्सणंएवं भवइ एवं खलु अहं ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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