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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स उहाणपरियाणियं परिकहियं, गोयमादी सभणे भगवं महावीरे भगवं गोयभं एवं क्यासी जणं से बहुजणे|| अनमन्त्रस्स एवमाइक्खइ०-एवं खलु गोसाले मंखलिपुत्ते अजिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहर३ तण्णं मिच्छा, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि एवं खलु एयस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स भखली नाम मंखे पिता होत्या, तस्स णं मंखलिस्स/ भहा नामं भारिया होत्था सकमाल जाव पडिरूवा. तए णं सा भहा भारिया अन्नदा कदाई गम्विणी यावि होत्या, तेणं कालेणं० सरवणे नामं सन्निवेसे होत्था रिद्धस्थिभिय० जाव सन्निभयगासे पासादीए०, तत्थ णं सरवणे सन्निवेसे गोबहले नामं माहणे परिवसति अड्ढे जाव अपरिभूए रिउव्वेद जाव सुपरिनिहिए यावि होत्या, तस्सणं गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला यावि होत्था, तए णं से मंखली मंखे नामं अन्नया क्याई भदाए भारिया। गुम्विणीए सद्धि चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगाभं दूइज्जमाणे जेणेव सरवणेसत्रिवेसे जेणेव गोबहुलस्समाहणस्सगोसाला तेणेव उवागए त्तागोबहुलस्सभाहणस्स गोसालाए एगदेसंसि भंडनिक्खेवं करेति त्ता सरवणे सत्रिवेसे उच्चनियमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वओं समंता मागणगवेसणं करेति वसहीए सव्वओ समंता भग्गणगवेसणं करेमाणे अन्नत्य वसहिं अलभमाणे तस्सेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए, तए णं सा भद्दा भारिया नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अद्धट्ठमाण राइंदियाणं वीतिकंताणं सुकुमाल जाव पडिरूवगंदारगं पयाया, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीतिकंते जाव | ॥श्रीभगवती सूत्र ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित २०५/ For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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