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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अणंतरपरंपरअणुववन्नगा णं भंते! ने२० किं नेरइयाउयं ५० पुच्छा, नो नेरइयाउय पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति, एवं जाव वेमाणिया नवरं, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य परंपरोववनगा चत्तारिवि आउयाई ५०, सेसं तं चेव, नेरइया णं भंते! किं अणंतरनिग्गया परंपरनिग्गया अणंतरपरंपरअनिग्गया ?, गोयमा ! नेरइया णं अणंतरनिग्गयावि जाव अणंतरपरंपरअनिग्गयावि, से केणद्वेणंजाव अणिग्गयावि?, गोयमा! जेणं नेरक्या पढमसमयनिग्गया तेणं नेरक्या अणंतरनिग्गया जेणं नेरक्या अपढमसमयनिग्गया। ते णं नेइया परंपरनिग्गया जेणं नेइया विग्गहगतिसमावन्नगा ते ण नेइया अणंतररंपरअणिग्गया, से तेणटेणं गोयमा ! जाव अणिग्गयावि, एवं जाव वेमाणिया, अणंतरनिग्गया णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं परेंति जाव देवाउयं परेंति ?, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयंपकरेंति, एवं निरवसेसं जाव वेमाणिया, नेरझ्याणं भंते! किं अणंत खेदोववन्नगा परंपरखेदोववन्नगा अणंतरपरंपरखेदाणुववन्नगा?, गोयमा ! नेरइया० एवं एएणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियवा सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ ५०१ ॥श० १४३०१॥ ____ कतिविहे गं भंते! उन्मादे पं०?, गोयमा! दुविहे उम्मादे पं० २० -जक्खावेसे य मोहणिजस्स य कम्मस्स उदए, तत्थ णं जे से जक्खाएसे सेणं सुहवेयणतराए चेव सुहविभोयणतराए चेव, तत्थ् णं जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं सेणं दुहवेयणतराए चेव दुहविभोयणतराए चेव, नेरइयाणं भंते! कतिविहे उन्मादे पं०?, गोयमा! दुविहे उम्मादे पं० तं० -जक्खावेसे य मोहणिज्जस्स य ॥श्रीभगवती सूत्र । पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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