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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org | अविरहिए जहेव रयणमभाए, एवं असंखेज्जवित्थडे सुवि तिन्नि गमगा । ४७० । से नूणं भंते ! कण्हलेस्से जाव सुक्कलेस्से भूषिता | कण्हलेस्सेसु नेरइएस, उवव्०?, हंता गोयमा ! कण्हलेस्से जाव उववजंति, से केणट्टेणं भंते ! एवं वच्चइ कण्हलेस्से जाव उववज्जति?, गोयमा ! लेस्सद्वाणंस संकिलिस्समाणेसु २ कण्हलेसं परिणमइ त्ता कण्हलेसेसु नेरइएस उववज्जंति से तेणट्टेणं जाव उज्जति Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नूणं भंते! कण्हलेस्भ जाव सुक्कले से भवित्ता नीललेस्सेसु नेरइएस उववजंति ?, हंता गोयमा ! जाव उववज्जंति, से केण जाव उववज्जंति?, गोयमा! लेस्सट्ठाणेसु संकिलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु वा नीललेस्सं परिणमंति ना नीललेस्सेसु नेरइएस कुछ से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव उवव०, से नूणं भंते ! कण्हलेस्से नील जाव भवित्ता काउलेस्सेसु नेरइएस उवव० एवं जहा नीललेस्सा तहा काउलेस्सावि भाणियव्वा जाव से तेणट्टेणं जाव उववज्जति। सेवं भंते ! सेवं भंते ! | ४७१ ॥ १०१३ ३० ॥ कइविहा णं भंते! देवा पं०?, गोयमा ! चउव्विहा देवा पं० तं०-भवणवासी वाणमंतरा जो० वेमा०, भवणवासी णं भंते! देवा | कतिविहा पं० ?, गोयमा ! दसविहा पं० तं० असुरकुमारा एवं भेओ जहा बितियसए देवुद्देस जाव अपराजियया सव्वट्टसिद्धगा, | केवइया णं भंते! असुरकुमारावाससयसहस्सा पं० ?, गोयमा ! चोसट्ठि असुरकुमारावासस्यसहस्सा पं०, ते णं भंते! किं संखेजवियु) असंखेज्जवि०?, गोयमा ! संखेज्जवित्थडावि असंखेज्जवि०, चोसट्ठी णं भंते! असुरकुमारावाससयस हस्सेसु संखेज्जवित्थडे स | असुरकुमारावासेसु एगसमएणं केवतिया असुरकुमारा उवव-जाव केवतिया तेउलेसा उवव० केवतिया कण्हपक्खिया उववज्जंति एवं पू. सागरजी म. संशोधित श्रीभगवती सूत्रं ॥ १५९ For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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