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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सयसहस्से पं०, सेसं जहा पंकप्पभाए, अहेसत्तमाए णं भंते! पुढवीए कति अणुत्तरा महतिमहालया महानिरया पं०?, गोयमा। पंच अणुत्तरा जाव अपइट्ठाणे, तेणं भंते! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा?, गोयमा! संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य, अहेसत्तमाए णं भंते! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरएसु संखेजवित्थडे नए एगसमएणं केवतिया उव०?, एवं|| जहा पंकप्पभाए नवरं तिसु नाणेसु न उवव०, पन्नत्तएसु तहेव अस्थि, एवं असंखेजवित्थडेसुवि नवरं असंखेजा भाणियव्या। ४६९ इमीसे णं भंते ! रयणप्यभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेजवि० नएसु किं सम्भट्ठिी नेरतिया उवव० मिच्छादिट्ठी ने8 उव० सम्मामिच्छादिट्ठी ने२० उ०?, गोयमा! सम्भदिट्ठीवि नेरइया उक्० मिच्छादिट्ठीवि नेरइया उव० नो सम्माभिच्छादिट्टी० उ०, इमोसणं भंते! रयणप्यभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्टी ने२० उव्वद्वृति?, एवं चेव, इमोसे में भते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडा नरगा किं सम्मट्ठिीहिं नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिट्टीहिं नरइएहिं अविरहिया सम्मामिच्छादिट्ठीहिं नेरइएहिं अविरहिया वा?, गोयमा! सम्मठिीहिवि नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिडीहिवि० अविरहिया सम्मामिच्छादिट्ठीहिं० अविरहिया विरहिया वा, एवं असंखेजवित्थडेसुवि तिनि गमगा भाणियव्वा, एवं सारभाएऽवि, एवं जाव तमाएऽवि, अहेसत्तमाए णं भंते! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु जाव संखेजवित्थडे नरए किं सम्मद्दिट्ठी नरक्या पुच्छा, गोयमा! सम्भविट्ठी नेरइया न उवव० मिच्छादिट्ठी नेरइया उवव०, सम्भामिच्छादिट्ठी नेरइया न उवव०, एवं उन्वटुंतिवि, | श्रीभगवती सूत्र ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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