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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सब्भावपज्जवेण तदुभया ये भो, पण तदुभवण ५ ५ो , देसे आदिढे सब्भावपज्जवे देसे आदिढे असब्भावपज्जा । देसे आदितु तदुभ्यपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नोआया य अवत्तव् आयाति य नोआयाति य, देसे आदितु सब्भावपज्जवे । आदिढे असब्भावपज्जवे देसा आदिद्वा तदुभयपजवा चउथ्यएसिए खंधे भवइ आया य नोआया य अवत्तव्वाइं आयाओ य नोआया य देसे आदिढे सब्भावपजवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदिढे तदुभयपज्जवे चउपएसिए खंधे आया य नोआयाओ य अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य, देसा आइहा सब्भावपज्जवा देसे आइढे असब्भाव५० देसे आइढे तदुभयपनवे चउभ्यएसिए खंधे || आयाओ य नोआया य अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य से तेगडेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ चउप्पएसिए खंधे सिय आया सिय नोआया|| सिय अवत्तव्यं निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयव्वा जाव नोआयातिय, आया भंते ! पंचपएसिए खंधे अन्ने पंचपएसिए खंधे?, गोयमा! सिय आया सिय नोआया सिय अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य सिय आया य नोआया य सिय अवत्तव्वं नोआया य अवत्तव्वेण य तिथगसजोगे एको ण पडइ, से केणटेणं भंते ! तं चेव पडिउच्चारेयव्वं ?, गोयमा ! अपणो आदिढे आया परस्स आदिढे नोआया|| तदुभयस्स आदिढे अवत्तव्वं देसे आदितु सब्भावपनवे देसे आदिढे असब्भावपजवे एवं दुयगसंजोगे सव्वे पडति तियगसंजोगे एको । ण पडइ, छप्पएसियस्स सव्वे पडंति, जहा छप्पएसिए एवं जाव अणंतपएसिए । सेवं भंते ! सेवं भते ! त्ति जाव विहरति ।४६८॥३०॥ १० इति द्वादशंशतकं॥ ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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