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Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie ||रूवी अजीवे सासए अवहिए लोगदव्ये, से समासओ पंचविहे पं०० - दवओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ, दव्यओ णं|| पोग्गलथिकाए अणंताई दवाई, खेत्तओ लोयप्पमाणमेत्ते, कालओन कयाइ आसि जाव निच्चे, भावओ वण्णमंते गंध० २१० फासमते, गुणओ गहणगुणे १९१७। एगे भंते! धम्मस्थिकायपदेसे धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्यं सिया ?, गोयमा ! णो इणद्वे सभडे, एवं | दोनिवि तित्रिवि चत्तारि पंच छ सत्त अट्ठ नव दस संखेना, असंखेना भंते! धम्मस्थिकायप्पएसा धमथिकाएत्ति वत्तव्यं सिया ?, गोयमा! णो इणद्वे सभडे, एगपदेसूणेऽविय णं भंते! धम्मत्थिकाए २ नि वत्तव्वं सिया?, णो तिणद्वे सभट्टे, से केणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ एगे धम्मस्थिकायपदेसे नो धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्यं सिया जाव एगपदेसूणेऽविय णं धम्मस्थिकाए नो धम्मस्थिकाएनि वत्तव्यं सिया?, से नूणं गोयमा! खंडे चक्के साले चक्के?, भगवं! नो खंडे चक्के सकले चक्के, एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे आउ पहे मोयए, से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ एगेधभत्थिकायपदेसे नो धमथिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेऽवियणंधभत्थिकाए नो धम्मत्थिकाएत्ति वित्तव्यं सिया, से किंखातिए णं भंते! धम्माथिकाएत्ति वत्तव्द सिया?, गोयमा! असंखेजा धम्मस्थिकायपएसा ते सव्वे कसिणा पडिपुणा निरवसेसा एगगहणगहिया एसणं गोयमा! धम्मस्थिकाएत्ति वत्तव्य सिया, एवं अहम्मस्थिकाएऽवि, आगासथिकाएऽवि जीवस्थिकायपोग्गलत्थिकायावि एवं चेव, नवरं तिण्हंपि पदेसा अणंता भाणियव्वा, सेसंतं चेव । ११८। जीवेणं भंते ! सट्टाणे सकम्भे सबले सवीरिए सपुरिसकारपक्मे आयभावेणं जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया?, हंता गोयमा! जीवे णं सट्टाणे जाव | ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
| पू. सागरजी ५. संशोथिन
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