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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किमिदं भंते ! समयखेत्तेति पवुच्चत्ति?, गोयमा ! अड्ढाइजा दीवा दो य समुदा एसणं एवइए समयखेत्तेत्ति पवुच्चति, तत्थ्णं|| अयं जंबुद्दीवे २ सव्वदीवसमुदाणं सब्दब्भतरे एवं जीवाभिगमवत्तव्वया नेयवा जाव अभितरंयुक्खरद्धं जोइसविहूणं ( ५० जाव इमा गाहा)।११६ श० २ ० ९॥ ___ कतिणं भंते ! अस्थिकाया ५०?, गोयमा ! पंच अस्थिकाया पं०२० - धम्मस्थिका अधम्मस्थिका आगासत्थिकाए जीवत्यिकाए| पोग्गलस्थिकाए, धम्मस्थिकाए णं भंते ! कतिवत्रे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे ?, गोयमा ! अवण्णे अगंधे अरसे अफासे अरूवी अजीवे सासए अवहिएलोगदव्वे, से समासओ पंचविहे पं० २० - दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ, दवओणं यम्भत्थिकाए| एगेदव्वे,खेतओणं लोगयमाणमेत्ते, कालओन क्याविन आसि नकयाइ नस्थि जाव निच्चे, भावओ अवण्णे अगंधे असे अफासे, गुणओ गमणगुणे, अहमस्थिकाएऽवि एवं चेव, नवरं गुणओ ठाणगुणे, आगासस्थिकाएऽविएवं चेव, नवरं खेतओणंआगासत्यिकाए लोयालोयथ्यमाणमेत्ते अणंते चेव जाव गुणओ अवगाहणागुणे, जीवत्यिकाए णं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कइफासे ?, गोयमा ! अण्णे जाव अरूवी जीतेसासए अवट्ठिए लोगदव्वे, से सभासओ पंचविहे पं०० - दव्यओ जाव गुणओ, दव्यओ णं जीवस्थिकाए अणंताई जीवदव्वाई, खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते, कालओन कयाइ न आसिजाव निच्चे, भावओ पुण अवण्णे अगंधे अरसे अफासे, गुणओ उवओगगणे, पोग्गलस्थिकाए णं भंते! कतिपणे कतिगंधे०?, गोयमा! पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे अशफासे | ॥श्रीभगवनी सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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