SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाव हव्यमागच्छति, जावइयं णं भंते ! खित्तं हंता गोयमा! उदयंते सूरिए आतावेणं सव्यओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेड़ अत्भतेऽवियणं सूरिए तावइयं चेव खितं आयावेणं सवओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ ?, हंता गोयमा ! जावतियण्णं खेत्तं जाव पभासेइ, तं भंते ! किं पुटुं ओभासेइ अपुटुं ओभासेइ ?, जाव छद्दिसिं ओभासेति, एवं उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ जाव नियमा छदिसिं, से नूणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं फुसमाणे पुढेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! सव्वंति जाव वत्तव्वं सिया, भंते ! किं पुढे फुसइ अपुढे फुसइ ?, जाव नियमा छहिसिं ।५१ लोयंते भंते ! अलोयंतं फुसइ अलोयंतेऽवि लोयतं फसइ? हा गोयमा ! लोयंते अलोयंत फुसइ अलोयतेऽवि लोयंतं फुसइ, तं भंते ! किं पुढे फुसइ अपुढे फुसइ ? जाव नियमा छद्दिसिं फुसइ, दीवंते भंते ! सागरंतं फुसइ सागरतेऽवि दीवंतं फुसइ?, हंता जाव नियमा छदिसिं फुसइ, एवं एएणं अभिलावेण उदयंते पोयतं फुसइ छिदंते दूसंतं छायंते आयवंतंजाव नियमा छद्दिसिं फुसइ १५२ अस्थि णंभंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ?, हंता अस्थि, सा भंते ! किं पुढाकज्जइ अपुट्ठा कज्जइ ?,जाव निव्वाधाएणं छदिसिं वाचायं पडुच्च सिय तिदिसिंसिय दिसिं सिय पंचदिसिं, सा भंते ! किं कडा कज्जइ अकडा जइ?, गोयमा ! कडा कज्जइ नो अकडा कजइ, सा भंते ! कि ||अत्तकडा कजइ पकडा कज्जइ तदुभयकडा कज्जइ?, गोयमा ! अत्तकडा कज्जइणो कडा जइ णो तदुभयकडा कजइ, सा भंते ! किं आणुपुब्दि कडा कजइ अणाणुपुट्विंकडा कज्जड़?. गोयमा! आणुपुरि कडा जद नो अणाणुपुब्धि कडा जइ, जा। ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy