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जाव हव्यमागच्छति, जावइयं णं भंते ! खित्तं हंता गोयमा! उदयंते सूरिए आतावेणं सव्यओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेड़ अत्भतेऽवियणं सूरिए तावइयं चेव खितं आयावेणं सवओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ ?, हंता गोयमा ! जावतियण्णं खेत्तं जाव पभासेइ, तं भंते ! किं पुटुं ओभासेइ अपुटुं ओभासेइ ?, जाव छद्दिसिं ओभासेति, एवं उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ जाव नियमा छदिसिं, से नूणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं फुसमाणे पुढेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! सव्वंति जाव वत्तव्वं सिया, भंते ! किं पुढे फुसइ अपुढे फुसइ ?, जाव नियमा छहिसिं ।५१ लोयंते भंते ! अलोयंतं फुसइ अलोयंतेऽवि लोयतं फसइ? हा गोयमा ! लोयंते अलोयंत फुसइ अलोयतेऽवि लोयंतं फुसइ, तं भंते ! किं पुढे फुसइ अपुढे फुसइ ? जाव नियमा छद्दिसिं फुसइ, दीवंते भंते ! सागरंतं फुसइ सागरतेऽवि दीवंतं फुसइ?, हंता जाव नियमा छदिसिं फुसइ, एवं एएणं अभिलावेण उदयंते पोयतं फुसइ छिदंते दूसंतं छायंते आयवंतंजाव नियमा छद्दिसिं फुसइ १५२ अस्थि णंभंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ?, हंता अस्थि, सा भंते ! किं पुढाकज्जइ अपुट्ठा कज्जइ ?,जाव निव्वाधाएणं छदिसिं वाचायं पडुच्च सिय तिदिसिंसिय
दिसिं सिय पंचदिसिं, सा भंते ! किं कडा कज्जइ अकडा जइ?, गोयमा ! कडा कज्जइ नो अकडा कजइ, सा भंते ! कि ||अत्तकडा कजइ पकडा कज्जइ तदुभयकडा कज्जइ?, गोयमा ! अत्तकडा कज्जइणो कडा जइ णो तदुभयकडा कजइ, सा भंते ! किं आणुपुब्दि कडा कजइ अणाणुपुट्विंकडा कज्जड़?. गोयमा! आणुपुरि कडा जद नो अणाणुपुब्धि कडा जइ, जा। ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥ ।
पू. सागरजी म. संशोधित
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