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Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||निगिण्हइ ना रह परावतेइ हम रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्खिभति ना एगंतमंतं अवकभइ ना तुरए निगिण्हइ ना रहं ठवेइ त्ता|| रहाओ पच्चोरुहइ ता रहाओ तुरए मोएइ ता तुरए विसज्जेइ त्ता दब्भसंथारगं संथरइ त्ता पुरच्छाभिमुहे दुरुहइ ता पुरच्छाभिमूहे संपलियंकनिसने करयल जाव कुटु एवं वयासी नमोऽत्यु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्थु णं सभणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स जाव संपाविकामस्स मम धम्मारियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामिणं भगवन्तं तत्थगयं इहगए, पास में से भगवं तत्थगए जाव वंदति नभंसति त्ता एवं व्यासी पुब्बिंपिगमए सभणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणातिवाए पच्चक्खाए जावजीवाए एवं जावथूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयणिंपिय णं अरिहंतस्स भगवओ महावीरस्म अंतियं सव्वं पाणातिवायं पच्चक्खामि जावजीवाए एवं जहा खंदओ जाव एयंपिणं चरमेहिं ऊसासनीसासेहि वोसिरामित्तिकटु सत्राहपट्ट मुयइ त्ता सल्लुद्धरणं करेति ना आलोइयपंडिकते समाहिपत्ते आणुपुचीए कालगए, तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स एगे पियबालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए सभाणए अत्थामे अबले जाव अधारणिज्जभितिकटु वरुणंणागनत्तुयं रहमुसलओ संगामाओ पडिनिक्खममा पासइ त्ता तुरए निगेण्हइ ता जहा वरुणे जाव तुरए विसजेति त्ता पडसंथारगं दुरुहइ त्ता पुरत्थाभिमुहे जाव अंजलिं कट्ठ एवं वयासी जाई णं भंते! मम पियबालवयस्सस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स सीलाई वयाई गुणाई वेरमणाई पच्चक्खाणपोसहोववासाई ताई णं ममंपि भवंतुतिकट्ठ सन्नाहपटें भुयइ त्ता सल्लुद्धरणं करेति ना आणुपुवीए कालगए, तणणं तं वरुणं णागणत्तुयं कालगयं | ॥श्रीभगवती सूत्र॥ ।
| पू. सागरजी म. संशोधित
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