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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूरिसए सनद्धबद्धे सकोरेंटमल्लदामेणं जावधरिज माणेणं अणेगगणनाया जाव दूयसंथिपाल सद्धिं संपखिडे भजणधाओ पडिनिक्खमति त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्धंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्घंटं आसरह दुरुहइ त्ता हयगयरह जाव संपरिवुडे महया भडचडगर जाव परिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगमे तेणेव उवागच्छइ त्ता रहमुसलं संगामं ओयाओ, तए णं से वरुणे णागणत्तुए रहमुसलं संगानं ओयाए समाणे अयमेथारुवं अभिगहं अभिगिण्हइ कप्पति मे रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्सजे पुब्बिं पहणइ से पडिहणित्तए, अवसेसे नो कप्पतीति, अयमेयारुवं० अभिगेण्हइ त्ता रहमुसलं संगामं संगामेति, तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्सएगे परिसे सरिसए सरिसत्तए सरिसव्वए सरिसभंडभत्तोवगरणे रहेणं पडिरह हव्वमागए, तए णं से पुरिसे वरुणं णागणतुर्थ एवं व्यासी पहण भो वरुणा गणतुया! २, तए णं से वरुणे णागणत्तुए तं पुरिसं एवं वदासी नो खलु मे कप्पइ देवाणुप्पिया! पुदि अहयस्स पहणित्तए, तुझं चेवणं पुव्वं पहणाहि, तए णं से पुरिसे वरुण |गणत्तुएणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते जाव भिसिमिसेमाणे धणुं परामुसइ त्ता उसुं पराभुसइ त्ता ठाणं ठाति त्ता आययकत्राययं उसुं| करेइ त्ता वरुणं णाणत्तुयं गाढप्पहारीकरेइ, तए णं से वरुणे गागनतुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणुं परामुसइ त्ता उसुं परामुसइ त्ता आययकवाययं उसुं करेइ त्तातं पुरिसं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवइ, तएं से वरूणे णागणत्तुए तेणं पुरिसेगंाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसकारपरक्कमे अधारणिजमितिकट्ट तुरए । ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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