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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीओ वहियाओ?, गोयमा! चउरासीई जणसयसाहस्सीओ वहियाओ, ते णं भंते! मणुया निस्सीला|| जाव निपच्चक्वाणपोसहोववासा रुठ्ठा परिकुविया सभरवहिया अणुवसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया कहिं उववना?, गोयमा! ओस-नं नरगतिरिक्खजोणिएसु० उववना ॥ २९९॥णायमेयं अरहया सुथमेयं अरहया विनामेयं अरहया रहमुसल्ले संगामे, रहमसले णं भंते! संगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था?, गोयमा! वजी विदेहपुत्ले चभरे असुरिदे असुरकुमारराया जइत्था नवा नवलेच्छई पराजइत्था, तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगामं उवद्वियं सेसं जहा महासिलाकंटए नवरं भूयाणंदे हस्थिराया जाव रहमुसलसंगानं ओयाए, पुरओ य से सक्के देविंदे देवराया. एवं तहेव जाव चिटुंति, माओ य से चभरे असुरिंदे असुरकुमारराया एगं महं| आयासं किढिपडिरुवगं विन्वित्ताणं चिटुइ, एवं खलु तओ इंदा संगाम संगामेति, तं०-देविंदे यमणइंदे यअसरिदे य.एमहत्थियावि णं पभू कूणिए राया जइत्तए तहेव जाव दिसोदिसि पडिसेहित्था, से केणतुणं भंते! रहमुसले संगामे २?, गोयमा! रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए, असारहिए, अणारोहए समुसले महया जणक्खयं जणवहं जणथ्यमई जणसंवट्टकप्पं रूहिरकद्द करेमाणे सव्वओ सभंता परिथावित्था से तेण्डेणं जाव रहमुसले संगामे, रहमुसलेणं भंते! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीओ वहियाओ?, गोयमा! छनउती जणसयसाहस्सीओ वहियाओ, ते णं भंते! मणुया निस्सीला जाव उववन्ना?, गोयमा! तत्थ णं दस साहस्सीओएगाए मच्छीए कुच्छिसि उवक्त्राओ, एगे देवलोगेसु उववन्ने, एगे सुकुले पच्चायाए, अवसेसा ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना ॥ ॥श्रीभगवती सूत्र ।। | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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