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देसमूलगुणपच्चक्वाणी अपच्चक्खाणी असंखेनगुणा, जीवा णं भंते! किं सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणी देसुत्तरगुणपच्चक्खाणी|| अपच्चक्खाणी?, गोयमा! जीवा सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणीवि तिन्निवि, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया म्णुस्सा य एव चेव, सेसा अपच्चक्खाणी जाव वेभाणिया, एएसिणं भंते! जीवाणं सबुत्तरगुणपच्चक्खाणी० अप्पाबहगाणि तित्रिवि जहा पढमे दंडए जाव मसाणं, जीवाणं भंते! किं संजया असंजया संजयासंजया?, मोयमा! जीवा संजयावि तिन्निवि, एवं जहेव पत्रवणाए तहेव भाणियध्वं जाव वेमाणिया, अप्याबहुगं तहेव तिण्हवि भाणियवं, जीवा णं भंते! किं पच्चक्वाणी अपच्चक्खाणी पच्चक्खाणापच्चक्खाणी?, गोथमा! जीवा पच्चक्खाणीवि एवं तित्रिवि, एवं मणुस्साणवि पंचिंदियतिरिक्खजोणिया आइल्लविरहिया, सेसा सव्वे अपच्चक्खाणी जाव वेभाणिया, एएसिंणं भंते! जीवाणं पच्चक्खाणीणं जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वथोवा जीवा पच्चक्याणी पच्चक्खाणापच्चक्खाणी असंखेजगुणा अपच्चक्खाणी अणंतगुणा, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया० सव्वत्थोवा पच्चक्खाणापच्चक्खाणी अपच्चक्वाणी असंखेजगुणा, मणुस्सा० सव्वथोवा पच्चक्खाणी पच्चक्खाणापच्चक्खाणी संखेजगुणा अपच्चक्खाणी असंखेजगुणा॥२७२॥
जीवाणं भंते किं सासया असासया?, गोयमा! जीवा सिय सासया सिय असासया, से केण्टेणं भते! एवं वुच्चइ जीवा सिय सासया सिय असासया?, गोयमा! दबट्ठयाए सासया भावट्ठयाए असासया, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ जाव सिय ॥ श०७ ३० श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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