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बितिए समए सिय आहारए सिय अाहारए ततिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए चउत्थे समए नियमा आहारए, एवं दंडओ,|| जीवा य एगिंदिया य चउत्थे समए सेसा ततिए समए, जीवे णं भंते! कं समयं सव्वप्याहारए भवति?, गोयमा! पढमसमयोववनए वा|| चरमसभए भवत्थे वा एत्थ णं जीवे णं सब्दप्पाहारए भवइ, दंडओ, भाणियचो जाव वेमाणियाणं ॥ २५९॥ किसंठिए णं भंते! लोए पं०?, गोयमा! सुपट्ठगसंठिए लोए पं०, हेहा विच्छिन्ने जाव अप्पिं उडमुइंगागारसंठिए तसिं च णं सासयंसि लोगसि हेढा विच्छिन्नसि जाव उप्पिं उड्डभुइंगागारसंठियंसि उम्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली जीवेऽवि जाणइ पासइ अजीवेऽवि० तओ पच्छ। सिन्झति जाव अंतं करेइ ॥२६०॥ सभणोवासगस्सणं भंते! सामाइयकडस्स समणोवस्सए, अच्छमाणस्स तस्स णं भंते! किं ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कज्जइ?, गोयमा! णो ईरियावहिया किरिया कज्जति संपराइया किरिया कज्जइ, से केण्डेणं जाव सं५० किरिया कज्जति?, गोयमा! समणोवसयस णं सामाइयक्डस्स समणोवस्सए अच्छमाणस आया अहिगरणीभवइ आयाहिगरणवत्तियं च णं तस्स नो ईरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कज्जइ, से तेणद्वेणं जाव संपराइया० ॥ २६१॥ सभणोवासगस्स णं भंते! पुव्वामेव तसपाणसमारंभे पच्चक्खाए भवति पुढवीसमारंभे अपच्चक्खाए भवइ से य पुढविं खणमाणे अण्णायरं तसं पाणं विहिंसेजा सेणंभंते! तंवयं अतिचरति?,णो तिणद्वे समडे, नो खलु से तस्सअतिवायाए आउदृति, समणोवासयस गंभंते! पुवामेव वणस्सइसमारंभे पच्चक्खाए सेयपुढविखणमाणे अन्नयरस्सरुक्खस्समूलं छिंदेजासेणं भंते! त्वयं अतिचरति!, । ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
यू. सागरजी म. संशोथित
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