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आयारंभा नो परारंभा जाव अणारंभा, तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारंभा नो परारंभा जाव अणारंभा, असुभंा जोगं पडुच्च आयारंभावि जाव नो अणारंभा, तत्थ णं जे ते असंज्या ते अविरतिं पडुच्च आयारंभावि जाव नो अणारंभा, से तेणटेण गोयमा! एवं वुच्चइ अत्थेगइया जीवा जाव अणारंभा, नेइयाणं भने! किं आयारंभा परारंभा तदुभयारंभा अणारंभा?, गोयमा! निरइया आयारंभावि जाव नो अणारंभा, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चई, गोयमा अविरतिं पडुच्च, से तेणटेणं जाव नो अणारंभा, जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया, मस्सा जहा जीवा, नवरं सिद्धिविरहिया भाणियचा, वाणमंतरा जाव वेमाणिया जहा नेरइया, सलेस्सा जहा ओहिया, कण्हलेसस्स नीललेसस्स काउलेसस्स जहा ओहिया जीवा, नवरं पमत्त अप्पमत्ता न भाणियव्या, तेउलेसस्स पम्हलेसस्स सुक्कलेसस्स जहा ओहिया जीवा, नवरं सिद्धान भाणियव्या । १७॥ इहभविए भंते! नाणे परभविए नाणे तदुभयभविए नाणे?, गोयमा! इहभविएऽवि नाणे परभविएऽवि नाणे, तदुभयभविएऽविणाणे दंसगपि एवमेव, इहभविए भंते! चरिने परमविए चरिते तदुभयभविए चरित्ते?, गोयमा! इहभविए चरिने नो परमविए चरिने नो तदुभयभविए चरित्ते, एवं तवे संजमे । १८ ।असंवुडे णं भंते! अणगारे किं सिझइ बुझइ मुच्चइ परिनिव्वाइ सव्वदुक्खाणयंत कोइ?, गोयमा! नो इण्टे समढे, से केणटेणं जाव नो अंतं करेइ?, गोयमा! असंवुडे अणगारे आउयवज्जाओ सत्त कम्पगडीओ सिढिलबंधणबद्धाओ धणियबंधणबद्धाओ परेइ हस्सकालठिइयाओ दीहकालटिझ्याओ परेइ मंदाणुभावाओ तिव्वाणुभावाओ परेड अप्पपएसग्गाओ बहुप्पएसग्गाओ परेइ आउयं च णं कम सिय | ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
| पू. सागरजी ५. संशोधित
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