________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सव्वत्थ परिणामेइ, आलावा य दो दो पोग्गले अपरियाइत्ता परियाइत्ता ॥२५२॥अविसुद्धलेसे णं भंते! देवे असमोहएणं अप्पाणाणं|| अविसुद्धलेसं देवं देविं अत्रयरं जाणति पासति?, णो तिण्डे सभडे, एवं अविसुद्धलेसे० असमोहएणं अयाणेणं विसुद्धलेसं देवं० अविसुद्धलेसे० समोहएणं अयाणेणं अविसुद्धलेसं देवं० अविसुद्धलेसे देवे समोहएणं अयाणेणं विसुद्धलेसं देवं० अविसुद्धलेसे० समोहयासमोहएणं अयाणेणं अविसुद्धलेसं देवं० अविसुद्धलेसे० समोहया० विसुद्धलेसं देवं० विसुद्धलेसे० असमो० अविसुद्धलेसं देवं० विसुद्धलेसे० असमोहएणं विसुद्धलेसं देवं० विसुद्धलेसे णं भंते! देवे समोहएणं अविसुद्धलेसं देवं० जाणइ०?, हंता जाणइ०, एवं विसद्ध० समो० विसुद्धलेसं देवं० जाणइ०?, हंता जाण३० विसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अविसुद्धलेसं देवं० विसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं विसुद्धलेसं देवं० एवं हेछिलएहिं अहिं न जाणइ न पासइ उवरिलएहिं चउहिं जाणइ पासइ। सेवं भंते ! सेवं भते! ॥ २५३॥श०६ ३०९॥
अस्थियाणं भंते! एवभाइक्खंति जाव पवेति जावतिया रायगिहे नयरे जीवा एव इयाणं जीवाणं नो चकिया कोई सुहं वा दुई वा जाव कोलढिगमायभवि निष्फावमायभवि कलममायमविमासमायभविमुग्गमायभवि जूयामायमवि लिक्खामायमपि अभिनिवदृत्ता उवदंसित्तए, से कहमेयं भंते! एवं?, गोयमा! जत्रं ते अवउत्थिया एवमाइक्खंति जाव भिच्छं ते एवभाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवभाइक्खामि जाव पवेभि सव्वलोएऽविय णं सव्वजीवाणं णो चक्किया कोई सुहं वा तं चेव जाव उवदंसित्तए, से केणद्वेण०?, गोयमा! अयन्न ॥ श्रीभगवती सूत्र।
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only