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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किमियं भंते! तमुक्काएत्ति पवुच्चइ किं पुढवी तमुक्काएत्ति पवुच्चति आऊ, तमुझाएत्ति पवुच्चति?, गोयमा! नो पुढवी तमुक्काएत्ति || पवुच्चति आऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चति, से केण्डेणं०? गोयमा! पुढवीकार णं अत्थेगतिए सुभे देसं पकासेति अत्थेगइए देसं नो पकासेइ, से तेणटेणं०, तमुक्काए णं भंते! कहिं समुट्ठिए कहिं संनिहिए?, गोयमा! जंबुद्दीवस्स २ बहिया तिरियमसंखेने दीवसमुद्दे वीईवतित्ता अरूणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेतियन्ताओ अरूणोदयं समुदं बायालीसं जोयणसहस्साणि ओाहित्ता उवरिल्लाओ जलंताओ एमपदेसिया, सेढीए इत्थणं तमुक्काए समुट्ठिए, सत्तरस एकवीसे जोयणसए उड्ढं 3थ्यइत्ता तओ पच्छ। तिरियं पवित्थरमाणे २ सोहम्भीसाणसणंकुमारमाहिंदे चत्तारिवि कप्पे आवरित्ताणं उबुंपिय णं जाव बंभलोगे ये रिढविभाणपत्थडं संपत्ते, एत्थ ण नमुक्काए णं संनिहिए, तमुक्काए णं भंते! किंसंठिए पं०?, गोयमा! अहे मल्लगमूलसंठिए उप्पिं कुक्डगपंजरगसंठिए पं०, तमुक्काए णं भंते! केवतियं विक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गोयमा! दुविहे पं०० -संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडे य, तत्थ णंजे से संखेजवित्थडे से गं संखेजाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पं०, तत्थ णं जे से असंखिजवित्थडे से णं असंखेजाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेजाइंजोयणसहस्साई परिक्खेवेणं ५०, तभुक्काए णं भंते! केमहालए पं०?, गोयमा! अयं णं जंबुद्दीवे २ सव्वदीक्समुदाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं पं०, देवेणं महिड्डीए जाव महाणुभावे इणामेव २ तिकड़ केवलकप्पं जंबुद्दीवं २ तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छिज्जा से णं देवे ताए ॥ श्रीभगवनी सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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