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आणापाणुपजत्तीए जीवएगिदियवज्जो तियभंगो, भासामणपज्जत्तीए जहा सण्णी, आहारअपज्जत्तीए जहा अणाहारगा, सरीरअपजत्तीए, इंदियअपजत्तीए आणापाणअपजनीए जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, नेरइयदेवमणुएहिं छब्ब्भंगा, भासामणअपज्जत्तीए जीवादिओ तियभंगो, णेरड्यदेवमणुएहिं छब्भंगा, सपदेसाऽऽहारग भविय सनि लेस्सा दिट्ठी संजय कसाए। णाणे जोगुवओगे वेदे य सरीर पज्जत्ती॥ ४१॥२३८॥ जीवा णं भंते! किं पच्चक्खाणी अपच्चक्खाणी पच्चक्खाणापच्चक्खाणी?, गोयमा! जीवा पच्चक्खाणीवि अपच्चक्खाणीवि पच्चक्खाणापच्चक्खाणीवि, सबजीवाणं एवं पुच्छा, गोयमा! नेइया अपच्चक्खाणीताव चारिदिया, सेसा दो, पडिसेहेयव्वा, पंचेदियतिरिक्खजोणिया नो पच्चक्खाणी अपच्चक्खाणीवि पच्चक्खाणापच्चक्खाणीवि, मणुस्सा तित्रिवि, सेसा जहा नेरतिया, जीवाणं भंते! किं पच्चक्खाणं जाणंति अपच्चक्खाणं जाणंति पच्चक्खाणापच्चस्खाणं जाणंति?, गोयमा! जे| पंचेंदिया ते तित्रिवि जाणंति अवसेसा पच्चक्खाणं न जाणंति, जीवा णं भंते! किं पच्चखाणं कुव्वंति अपच्चक्खाणं कुव्वंति पच्चक्खाणापच्चक्खाणं कुव्वंति?, जहा ओहिया तहा कुव्व्णा, जीवाणं भंते! किं पच्चक्वाणनिव्वत्तियाउया अपच्चक्खागणिक पच्चक्खाणापच्चक्खाणनि?, गोयमा! जीवा य वेमाणिया य् पच्चक्वाणणिव्वत्तियाउया तित्रिवि, अवसेसा अपच्चखाण|निव्वत्तियाउया, पच्चक्खाणं जाणइ कव्वति तिन्नेव आनिव्वनीसपदेसद्देसंमि य एमए दंडगा चउरी ॥४२॥ सेवं भंते! सेवं भंते!| ति॥२३९॥श०६ ३०४॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
५. सागरजी म. संशोधित ||
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